भौतिकवाद से हांफता विश्व कहेगा बुद्धम् शरणम् गच्छामि

आप सुबह सवेरे जब उठते होंगे तो आपके घर के आसपास पेड़ पर किसी पक्षी के चहचहाने की आवाज़ सुनाई देती होगी, आप सुबह सवेरे की शांति और सूर्य के मद्धिम प्रकाश के बीच जब खुद को तरोताज़ा अनुभव करते होंगे मगर ऐसे में भी आप दफ्तर जाने, धन कमाने और अपने परिवार की समस्याओं को सुलझाने में लगे होकर उनमें और उलझ जाऐंगे तो आप क्या कहेंगे यही न कि सुबह सुबह ही मूड़ खराब हो गया। इसी तरह से जब हम वैश्विक स्तर पर दे खते हैं तो आज संपूर्ण विश्व में हथियारों की होड़ हो रही है। एक देश दूसरे देश की जमीन का कुछ भाग पाने के लिए आतंक का रास्ता अपना रहा है। यही नहीं परमाणु आयुध से युक्त बमों का परीक्षण हो रहा है। एक तरह से डर का माहौल है कि कौन जाने दो देशों की तकरार एक बड़े विश्वयुद्ध में बदल जाए। लोग अशांत हैं। प्रदूषण का वातावरण है लोग प्रकृति का दोहन कर रहे हैं मगर बदले में प्रकृति से लिए हुए तत्वों को मूल स्वरूप में फिर से लौटाने का प्रयास तक नहीं कर रहे हैं। ऐसे में जब व्यक्ति थक हार कर शांत बैठता है तो उसे भगवान बुद्ध ही नज़र आते हैं।

बुद्ध की बातों में उन्हें संपूर्ण विश्व का समाधान नज़र आता है। बुद्ध ने जो अष्टांग मार्ग बताया है वे आज की परेशानियों के लिए बेहद कारगर हैं। उन्होंने जिस तरह से सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह की बातें बताई हैं। वे बेहद अच्छी हैं और विश्व समुदाय के लिए इन बातों की आज के संदर्भ में बड़ी आवश्यकता है। भगवान बुद्ध ने कहा था कि आपको पदार्थों की जितनी आवश्यकता है उतना ग्रहण करें। यदि आप आवश्यकता से अधिक वस्तुओं को ग्रहण करेंगे तो यह ठीक न होगा। वर्तमान में जिस तरह से जनसंख्या बढ़ रही है और जमीन के टुकड़ों के लिए देश एक दूसरे के लिए हमला कर रहे हैं आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं उससे न केवल रक्तपात बढ़ रहा है बल्कि उनकी परेशानियां भी बढ़ रही हैं।

जितना भू भाग उनके पास है वहां रहने वाले नागरिकों के लिए उचित प्रबंध वे नहीं कर सकते लेकिन इसके बाद भी दूसरे के अधिकार में आने वाला भू भाग चाह रहे हैं ऐसे में युद्ध तो होना है लेकिन इसके साथ ही उस देश की परेशानी बढ़नी है जो ऐसा करता है। इसके बजाय यदि वह बुद्ध के मार्ग पर चलता है तो उसके देश में समृद्धि आएगी।

आज बुद्ध पौर्णिमा

आज अर्थात् बुधवार 10 मई 2017 को देशभर में बुद्ध पौर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। इस दौरान बौद्ध अनुयायी बौधिसत्वों, स्तूपों की ओर जाकर भगवान बुद्ध का पूजन करेंगे। कुछ लोग ऐसी टेकरियों के पास जाते हैं जहां पर बौद्ध अवशेष प्राप्त हुए थे वहां जाकर वे भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का प्रचार करते हैं और भगवान बुद्ध का स्मरण करते हैं। बुद्ध पौर्णिमा पर बौद्धिष्ठ और भारतीय बौद्ध महासभा के सदस्यों द्वारा अपने अपने क्षेत्रों में विभिन्न आयोजन किए जाऐंगे बच्चे भगवान बुद्ध पर आधारित नाटकों का मंचन करेंगे। भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को याद किया जाएगा और बौद्ध भिक्षुओं का सम्मान होगा। हर कहीं बुद्धम् शरणम् गच्छामि की गूंज सभी ओर सुनाई देगी। बड़े पैमाने पर लोग भगवान बुद्ध का स्मरण करेंगे।

 

 

 

 

 

 

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