नई दिल्ली: एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में जेल में कैद गौतम नवलखा को सर्वोच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली है. शीर्ष अदालत ने आज गुरुवार (10 नवंबर) को गौतम नवलखा के घर में नजरबंद करने के आग्रह को स्वीकार करते हुए कहा कि पहली नजर में उनकी मेडिकल रिपोर्ट को खारिज करने की कोई वजह नहीं है. साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि वह मामले से संबंधित लोगों और गवाहों से भी बात नहीं करेंगे. हालांकि, गौतम नवलखा की पार्टनर सहबा हुसैन को साथ रहने की अनुमति दे दी है. न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि हाउस अरेस्ट ऑर्डर को 48 घंटे के अंदर लागू किया जाना चाहिए. साथ ही अदालत ने नवलखा को एक अनुमानित राशि के तौर पर 2.4 लाख रुपये जमा करने का भी निर्देश दिया, जिसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने पुलिस कर्मी मुहैया कराने के लिए यह खर्च आने का दावा किया था. साथ ही अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा कि गौतम नवलखा को महीने भर के हाउस अरेस्ट के दौरान कंप्यूटर और इंटरनेट का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी जाएगी. 70 साल के कार्यकर्ता एल्गार परिषद-माओवादी लिंक मामले में जेल में कैद हैं. शीर्ष अदालत ने एक माह के लिए गौतम नवलखा को तलोजा जेल से निकालकर नवी मुंबई में नजरबंदी के आदेश दिया है. अपने आदेश में अदालत ने कई शर्ते भी लगा दी है. अपने आदेश में न्यायालय ने कहा है कि नजरबंदी के दौरान किसी तरह का कोई संचार उपकरण यानी कोई लैपटॉप, मोबाइल, कंप्यूटर आदि कुछ भी उपलब्ध नहीं होगा. इस दौरान वह किसी भी अवैध गतिविधि में शामिल नहीं होंगे. ना ही मीडिया से बात करेंगे. घर में हाउस अरेस्ट रहने के दौरान एक सप्ताह में दो घंटे के लिए परिवार के दो सदस्यों से मिलने की इजाजत दी. इसके सात ही वह मामले से जुड़े लोगों और गवाहों से भी बात नहीं कर पाएंगे. हालांकि नवलखा की पार्टनर सहबा हुसैन उनके साथ रह पाएंगी. अरुणाचल प्रदेश में दो बार हिली धरती, देश में 2 दिनों में चौथा भूकंप हाई कोर्ट से अतीक अहमद को बड़ा झटका, गुर्गों की जमानत याचिकाएं ख़ारिज ज्ञानवापी में मिले 'शिवलिंग' के संरक्षण का सवाल, सुप्रीम कोर्ट में कल से अहम सुनवाई