नई दिल्लीः दुनिया की उभरती हुई नई सैन्य और आर्थिक चीन इस वक्त कठिन आर्थिक चुनौतियों से गुजर रही है। चीन की अर्थव्यवस्था की गति धीमी हो चुकी है। इसकी रफ्तार 2019 की तीसरी तिमाही में करीब तीन दशक के निचले स्तर पर आ गयी। वृद्धि दर में कमी की प्रमुख वजह अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध का जारी रहना और घरेलू मांग का कमजोर पड़ना है। राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़े के अनुसार, जुलाई-सितंबर में चीन की आर्थिक वृद्धि दर छह फीसद रही। इससे पिछली तिमाही अप्रैल-जून में चीन की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 6.2 फीसद थी। 1992 के बाद से यह वृद्धि दर का सबसे खराब तिमाही आंकड़ा है। हालांकि यह सरकार के 2019 में आर्थिक वृद्धि दर 6 से 6.5 फीसद रखने के लक्ष्य के दायरे में है। वर्ष 2018 में चीन की आर्थिक वृद्धि दर 6.6 फीसद थी। सांख्यिकी ब्यूरो के प्रवक्ता माओ शेंगयांग ने कहा, 'राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में शुरुआती तीन तिमाहियों में स्थिरता दिख रही है।' उन्होंने कहा कि हमें घरेलू और वैश्विक स्तर पर गंभीर आर्थिक हालातों को लेकर तैयार रहना होगा। चीन ने अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई जरूरी कदम उठाए हैं। इसमें टैक्स की दरों में भारी कटौती और शेयर बाजारों में विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए कई नियमों में ढील दिया जाना शामिल है। अमेरिका की टैरिफ वृद्धि से चीन की अर्थव्यवस्था को नुकसान झेलना पड़ा है, साथ ही तकनीकीय योजनाओं को भी धक्का लगा है। चीन सरकार ने वार्षिक तौर पर जो वृद्धि दर रखी थी उसके मुकाबले विकास दर की गति बहुत धीमी रही है। जो देश चीन के साथ व्यापार करते हैं वे ट्रेड वॉर पर नजर बनाए हुए हैं। व्यापारिक देशों में ट्रेड वॉर की वजह से मंदी का डर बना हुआ है। एयर इंडिया के लिए जल्द ही बोलियां आमंत्रित कर सकती है सरकार, ये है प्लान डीजल के दामों में कटौती जारी, पेट्रोल के भाव स्थिर देश के उत्तरी राज्यों में टमाटर, प्याज और दाल जैसी जिंसों की बढ़ेगी सप्लाई