केंद्र सरकार में लंबित प्रदेश से जुड़े मुद्दों के निस्तारण के लिए राजस्थान सरकार बहुत गंभीर नजर आ रही है. केंद्र सरकार से अपने मसलों को पूरा करने के लिए राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार सांसदों का सहारा लेगी. राज्य के सभी 25 लोकसभा सदस्यों को केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में लंबित ऐसे मुद्दों की सूची सौंपी जाएगी, जिनका लंबे समय से निस्तारण नहीं हो पा रहा है. इनमें सबसे बड़ा मुद्दा केंद्र सरकार द्वारा प्रदेश के हिस्से में आने वाले जीएसटी के पांच हजार करोड़ रुपये की राशि लंबे समय से भुगतान नहीं करना शामिल है. इसके साथ ही मदरसों के संचालन के लिए प्रति वर्ष केंद्र सरकार से मिलने वाले नौ करोड़ रुपये भी अब तक नहीं मिल सके हैं. Budget 2020: इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाने की कोशिश, India Inc की जॉब पैदा करना मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इसी तरह राज्य विधानसभा में मॉब लिंचिंग और ऑनर किलिंग कानून पारित होने के बाद भी राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी नहीं दिए जाने के मामले में भी सांसदों की मदद लेने कर योजना है. हालांकि राज्य सरकार इस बात को लेकर आशंकित है कि उसके आग्रह के बावजूद सांसद मुश्किल ही केंद्र के समक्ष प्रदेश के मुद्दे उठाएंगे.इसका कारण राज्य के सभी 25 लोकसभा सदस्य भाजपा के होना है. प्रदेश में एक भी लोकसभा सांसद कांग्रेस का नहीं है. CAA : श्रीकांत शर्मा ने दिया बड़ा बयान, कहा-32 हजार शरणार्थियों का पता चला है... आपकी जानकारी के लिए बता दे कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर राज्य के अधिकारियों ने केंद्र सरकार के ऊर्जा, वित्त, परिवहन, पर्यटन, कृषि, खान, अल्पसंख्यक मामलात, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज, गृह, जलशक्ति और पशुपालन सहित 20 मंत्रालयों के 100 मुद्दों की सूची तैयार की है. इनमें सबसे अधिक मुद्दे अंतरराज्यीय जल विवादों को लेकर है. इनमें सबसे अहम रावी-व्यास-सतलुज समझौता है. इसमें पाकिस्तान के हिस्से का पानी स्टोरेज नहीं होने के कारण बहकर पाकिस्तान चला जाता है. RBI ने निर्धारित की धन निकासी की सीमा, एक और बैंक के डूबने की आशंका मतदाताओं के लिए बड़ी खबर, अब घर बैठे दे सकते है वोट दिल्ली विधानसभा चुनाव, दाव पर लगी भाजपा-कांग्रेस के कई महारथियों की प्रतिष्ठा