बर्लिन: विश्वभर में यौन उत्पीड़न के खिलाफ एक हैशटैग ‘MeToo’ चलाया गया था, जिसे काफी लोकप्रियता मिली थी. इससे दुनिया भर की महिलाओं ने जुड़कर यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज़ उठाई थी. इसी को देखते हुए अब जर्मनी से भी एक नया हैशटैग ‘MeTwo’ शुरू हुआ है. इसके जरिए जर्मनी में चल रहे नस्लवाद के खिलाफ आवाज़ उठाई जाएगी. इस हैशटैग के जरिए जर्मनी के नागरिक अपने साथ हुए नस्लीय भेदभाव की घटनाओं को साझा कर रहे हैं. पाकिस्तानी जेलों में यातनाएं झेल रहे इतने भारतीय नागरिक इसमें लोग अपने अनुभव बताते हुए लिख रहे हैं कि किस तरह आज भी उन्हें खुद को जर्मन नागरिक साबित करने के लिए मुश्किलें उठानी पड़ती हैं. #MeTwo को तुर्की मूल के 24 वर्षीय पत्रकार अली कैन ने तब बनाया जब तुर्किश-जर्मन फुटबॉल खिलाड़ी मेसुत ओजिल को जर्मनी की राष्ट्रीय टीम से इस्तीफा देना पड़ा था. यह हैशटैग बड़ी तेजी से लोकप्रियता बटोर रहा है, कुछ ही दिनों में इस पर 60 हज़ार ट्वीट पोस्ट किए जा चुके हैं. चाहे सरकार गिर जाए दिवार तो उठेगी -डोनाल्ड ट्रम्प पत्रकार अली कैन ने #MeTwo हैशटैग का इस्तेमाल इसलिए किया क्योंकि वह यह दिखाना चाहते थे कि जर्मनी में जातीय अल्पसंख्यक अक्सर खुद को दो संस्कृतियों से जुड़ा महसूस करते हैं. इन दो संस्कृति में से एक जर्मनी की है तो दूसरी उनके पूर्वजों के मूल देश तुर्की की है. आपको बता दें कि जर्मनी में टर्की के लगभग 40 लाख लोग रहते हैं, 1960 से जर्मनी में बसे हुए ये लोग आज भी जर्मनी में खुद को नस्लीय भेदभाव से नहीं बचा पाए हैं. खबरें और भी:- इंडोनेशिया में भूकंप से पहाड़ियों पर फ़से 500 हाइकर्स फिलीपींस में हुआ आतंकी हमला क्या आपने देखा है, दुनिया का सबसे छोटा और खूबसूरत रेगिस्तान