नागरिकता कानून का विरोध करना जर्मन छात्र को पड़ा भारी, सांसद शशि थरूर को करना पड़ा फोन

सांसद शशि थरूर ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से मानव संसाधन विकास मंत्रालय से एक जर्मनी के छात्र को देश छोड़कर जाने को कहने पर जवाब मांगा है. यह छात्र आईआईटी मद्रास से विज्ञान ती पढ़ाई कर रहा था. उसे देश छोड़कर जाने के लिए इसलिए कहा गया क्योंकि उसने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया था.

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एक मीडिया की रिपोर्ट का हवाला देते हुए शशि थरूर ने ट्वीट किया, 'यह निराशाजनक है. हमारा एक गौरवपूर्ण लोकतंत्र हुआ करता था, जो दुनिया के लिए एक उदाहरण है. कोई भी लोकतंत्र अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए दंडित नहीं करती है मैंने डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक (एचआरडी मंत्री) को फोन किया ताकि वह आईआईटी मद्रास को निर्देश दे सकें कि छात्र के निष्कासन को वापस लिया जाए. जिससे कि अकादमिक दुनिया में भारत का सिर ऊंचा खड़ा हो.'

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि जर्मनी के इस छात्र का नाम जैकब लिंडेथल है जो ड्रेसडेन में रहता है. उन्होंने इस साल अगस्त में एक्सजेंच प्रोग्राम के तहत एमएस प्रोग्राम में दाखिला लिया था. उन्होंने बताया कि आव्रजन अधिकारियों ने उन्हें नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शन में हिस्सा लेने की वजह से खरी-खोटी सुनाई और देश छोड़कर जाने को कहा. उन्होंने बताया कि उनके विभाग के स्टाफ ने उन्हें सूचित किया कि उन्हें आव्रजन अधिकारियों ने समन भेजा है.जैकब ने कहा, 'मैं वहां (आव्रजन कार्यालय) गया और शुरुआत की बातचीत काफी मित्रतापूर्ण थी. इसलिए मैंने उन्हें सबकुछ बताया. इसके बाद उन्होंने मुझे खरी-खोटी सुनाना शुरू कर दिया कि मैंने नागरिकता कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शन में हिस्सा क्यों लिया। तब मुझे अहसास हुआ कि मामला गंभीर हो गया है.

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