श्रीनगर: 50 वर्षों तक कांग्रेस में गांधी परिवार के करीबी रहने के बाद डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (DPAP) का गठन करने वाले पूर्व सीएम गुलाम नबी आजाद ने बुधवार (14 जून) को कहा कि उन्हें 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले 'विपक्षी एकता' से कोई फायदा होता नहीं दिख रहा है। दरअसल, उनसे बिहार के सीएम नीतीश कुमार द्वारा बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक के बारे में सावल किया गया था, इस पर आजाद ने कहा कि उन्हें इसमें आमंत्रित ही नहीं किया गया है। आज़ाद ने कहा कि, 'विपक्षी एकता का फायदा तभी मिलेगा, जब दोनों पक्षों के लिए कुछ होगा। दोनों के लिए फायदे के हिस्से में अंतर हो सकता है - यह 50-50 या 60-40 हो सकता है - मगर इस मामले में, दोनों पक्षों के पास दूसरे को देने के लिए कुछ भी नहीं है।' आजाद ने पश्चिम बंगाल का उल्लेख करते हुए कहा कि कांग्रेस और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (CPM) का प्रदेश में कोई MLA नहीं है और सोचने वाली बात है कि यदि दोनों पार्टियां ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस (TMC) के साथ गठबंधन करती हैं, तो इसमें TMC को क्या लाभ होगा ?' पूर्व सीएम ने कहा कि, 'क्या ममता बनर्जी उनसे गठबंधन क्यों करेंगी? इससे उन्हें क्या फायदा होने वाला है? इसी प्रकार TMC का राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में कोई MLA नहीं है। क्या कांग्रेस उन्हें इन राज्यों में TMC को कुछ देगी? कुछ भी नहीं।' आजाद ने एक और उदाहरण देते हुए कहा कि इसी प्रकार, आंध्र प्रदेश में कांग्रेस का एक भी MLA नहीं है। जबकि आंध्र प्रदेश के सीएम वाई. एस. जगन मोहन रेड्डी की अगुवाई वाली YSRCP के पास किसी और राज्य में कोई विधायक नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि, 'कांग्रेस उन्हें (रेड्डी को) क्या देगी और रेड्डी कांग्रेस को क्या देंगे ?' हालांकि, गुलाम नबी आजाद ने स्पष्ट किया कि वह चाहते हैं कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा को हराने के लिए विपक्ष एकजुट हो जाए। आजाद ने कहा कि, 'मगर दुर्भाग्य से, हर विपक्षी दल के पास अपने राज्य के अतिरिक्त अन्य राज्यों में कुछ भी नहीं है। अगर दो-तीन दलों ने राज्यों में (गठबंधन में) सरकारें बनाई होती तो यह लाभकारी होता।'