नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी ने रविवार (18 जून) को गीता प्रेस गोरखपुर को गाँधी शांति पुरस्कार-2021 मिलने पर बधाई दी है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने गीता प्रेस द्वारा विगत 100 वर्षों में किए गए उनके कार्यों के लिए उनकी प्रशंसा भी की। उन्होंने कहा कि, 'लोगों के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने की दिशा में गीता प्रेस ने बीते 100 वर्षों में सराहनीय कार्य किया है। मैं गीता प्रेस, गोरखपुर को गाँधी शांति पुरस्कार 2021 से सम्मानित किए जाने पर बधाई देता हूँ।' बता दें कि गीता प्रेस को वर्ष 2021 के लिए गाँधी शांति पुरस्कार मिलने वाला है। उन्हें यह अवार्ड, अहिंसक और अन्य गाँधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक और सियासी परिवर्तन की दिशा में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए प्रदान किया जाएगा। संस्कृति मंत्रालय ने इस संबंध में जानकारी दी है कि पीएम मोदी ने गीता प्रेस को उसकी स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर गाँधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जाना संस्थान की तरफ से सामुदायिक सेवा में किए गए कार्यों की पहचान है। हालाँकि, कांग्रेस को गीता प्रेस को यह सम्मान मिलना पसंद नहीं आया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ये सम्मान मिलने पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने इसे एक उपहास करार देते हुए कहा कि गीता प्रेस को ये अवार्ड देना ऐसा है, जैसे सावरकर या गोडसे को पुरस्कार दिया जा रहा हो। रमेश ने अपने आधिकारिक हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा कि, '2021 के लिए गाँधी शांति पुरस्कार गोरखपुर में गीता प्रेस को प्रदान किया जा रहा है, जो इस साल अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है। अक्षय मुकुल ने 2015 में इस संस्थान की एक काफी अच्छी जीवनी लिखी है। इसमें उन्होंने इस संस्थान के महात्मा के साथ उतार-चढ़ाव वाले रिश्तों और राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर उनके साथ चली लड़ाइयों का खुलासा किया है।' जयराम रमेश ने कहा कि, 'यह फैसला वास्तव में एक उपहास है, सावरकर तथा गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है।' क्या है गीता प्रेस गोरखपुर :- बता दें कि आज पूरे देश में अगर सनातन के वेद, पुराणों और ग्रंथों का ज्ञान सुलभता से सभी तक पहुँच सका है, तो इसमें गीता प्रेस का अभूतपूर्व योगदान है। आज गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित धर्मग्रन्थ भारत के हर घर में पहुँच चुके हैं। गीता प्रेस का मुख्य उद्देश्य ही सस्ते से सस्ते साहित्य के जरिए लोगों में धर्म का प्रचार करना है। गीता प्रेस के मुताबिक, उनके द्वारा पुस्तकों के मूल्य प्रायः लागत से भी कम रखे जाते हैं, मगर इसके बावजूद कभी भी गीता प्रेस पर कोई आर्थिक मुसीबत नहीं आई। गीता प्रेस की वेबसाइट में दी गई जानकारी के मुताबिक, मार्च 2019 तक करीब 68 करोड़ 28 लाख पुस्तकों का प्रकाशन किया जा चुका है। इनमें से सर्वाधिक लगभग 14 करोड़ से ज्यादा श्रीमद्भगवतगीता और लगभग 10 करोड़ से ज्यादा श्रीरामचरितमानस की पुस्तकों का प्रकाशन किया गया है। उद्धव ठाकरे को नारायण राणे ने क्यों दी मछली खाने की सलाह ? 'राउत को लगता था MVA गठबंधन 25 साल तक चलेगा..', अजित पवार का पलटवार राहुल गांधी प्रधानमंत्री? इस संबंध में क्या है दिग्गजों की राय