'उतनी ही गारंटी दो, जितनी पूरी कर सको..', चुनावों में कांग्रेस को खड़गे की नसीहत!

बैंगलोर: कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने सत्ता में आने के लिए बड़े-बड़े लोकलुभावन वादे किए थे, जिनमें मुफ्त सुविधाओं और कल्याणकारी योजनाओं का ऐलान शामिल था। इन वादों की बदौलत कांग्रेस को जनता का समर्थन मिला और वह सरकार बनाने में सफल रही। हालांकि, अब उन वादों को पूरा करना कांग्रेस सरकार पर भारी पड़ रहा है। इन राज्यों में आर्थिक चुनौतियाँ गंभीर हो गई हैं, खजाना खाली हो गया है, और कर्ज तेजी से बढ़ता जा रहा है। 

कर्नाटक में कांग्रेस की गारंटी योजनाओं में से एक महत्वपूर्ण योजना महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा की 'शक्ति' योजना है। हाल ही में उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने इस योजना पर पुनर्विचार की बात की, जिससे विवाद उत्पन्न हो गया। क्योंकि, इससे राज्य का बस उद्योग घाटे में चला गया है । इसके बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए अपनी ही पार्टी की खिंचाई की। उन्होंने पार्टी नेताओं को चेतावनी दी कि जनता से उतने ही वादे किए जाएँ, जिन्हें पूरा करना संभव हो। खरगे ने साफ कहा कि अगर योजनाओं को लेकर संदेह पैदा किया गया तो इसका राजनीतिक नुकसान हो सकता है।

खरगे ने यह भी बताया कि उन्होंने महाराष्ट्र कांग्रेस को सलाह दी है कि किसी भी गारंटी योजना की घोषणा करने से पहले उसके वित्तीय पहलुओं पर विचार करें। उन्होंने कहा कि बिना बजट के आधार पर वादे करना राज्य के लिए भारी पड़ सकता है और अगर सरकार आर्थिक तौर पर विफल हुई तो इससे पार्टी को भविष्य में नुकसान होगा। खरगे ने यह भी कहा कि राहुल गांधी इस मामले में खास ध्यान दे रहे हैं कि महाराष्ट्र में घोषित गारंटी योजनाएँ व्यावहारिक हों और वित्तीय क्षमता के हिसाब से बनाई जाएँ। 

बता दें कि, कांग्रेस के प्रमुख नेता राहुल गांधी ने पहले भी लोकसभा चुनाव के दौरान ऐसे वादे किए थे, जिनकी आलोचना की गई। उन्होंने देश की गरीब महिलाओं को सालाना एक लाख रुपये देने का वादा किया था। लेकिन ऐसा करना आर्थिक रूप से असंभव था। भारत की वर्तमान आबादी लगभग 150 करोड़ है, और अगर 25 करोड़ गरीब महिलाएं भी मानी जाएं, तो सरकार को सालाना 25 लाख करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। यह राशि देश के कुल बजट  का आधे से भी अधिक है, जिससे अन्य जरूरी खर्चे जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा, सड़कों, कृषि और बुनियादी ढाँचे के लिए धन नहीं बचता। 

खरगे ने इस प्रकार के अव्यावहारिक वादों से कांग्रेस को सतर्क रहने की सलाह दी है। कांग्रेस को याद दिलाया गया कि लोकप्रियता के लिए लुभावने वादे करना आसान है, लेकिन उन्हें निभाना कठिन होता है, और अगर ऐसा न हो सका तो राजनीतिक परिणाम भी भुगतने पड़ सकते हैं।

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