देने का नाम दान, सर्वस्व दे देना त्याग है

उज्जैन : श्रावक का प्रमुख धर्म दान और पूजन है। पहला धर्म श्रमण धर्म तथा दूसरा धर्म श्रावक धर्म है। गृहस्थ का धर्म प्रवृत्ति प्रधान धर्म हैं। देने का नाम दान है, सर्वस्व दे देना त्याग है।

दान तीर्थ प्रवर्तक राजा श्रेयांश के दान की अनुमोदना करते हुए मुनि श्री 108 समतासागर जी महाराज ने आहार दान के महत्व को बताया। सामाजिक संसद सचिव सचिन कासलीवाल के अनुसार ऋषिनगर दिगम्बर जैन मंदिर में चल रहे अध्यात्म धर्म-ज्ञान शिक्षण शिविर में मुनिश्री ने विशेष प्रवचन में, व्यस्त जीवन में धर्म दान पूजा पर विशेष व्याख्यान दिये। 

इस अवसर पर फूलचंद नरेंद्र कुमार गोधा, पुष्पलता जैन, अशोक जैन चायवाला, अशोक मोदी, आरती जैन, ताराचंडी जैन, अजीत सेठी, प्रमोद जैन, अरविंद बुखारिया आदि उपस्थित थे।

अध्यात्म धर्म ज्ञान शिक्षण शिविर में 200 से अधिक बच्चे सीख रहे संस्कार

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