कानपूर: रविवार की सुबह कॉर्डियोलॉजी के लिए बहुत ही बुरा दिन लेकर आई। सरकारी सिस्टम की लापरवाही से कई लोगों की जान जानें का खतरा बन गया। शुक्र है कि आग ने विकराल रूप नहीं लिया और समय रहते लोगों को बिल्डिंग के बाहर निकाला जा सका, लेकिन जितनी बड़ी आग नहीं थी, उससे कहीं अधिक लोग जहरीले धुएं की समस्या से जूझ रहे थे। कई लोगों की जान के लिए बड़ा संकट बन गई। सेंट्रल एयर कंडीशन बनाने के लिए पूरी बिल्डिंग को शीशे से सील किया गया था। शीशों को अगर तोड़ा न गया होता तो मौत का आंकड़ा बढ़ने में जरा सा भी वक़्त नहीं लगता। यहां तक की मुख्यमंत्री के निर्देश पर जांच के लिए कानपुर पहुंचे डीजी फायर आरके विश्वकर्मा ने भी इस पर सवाल उठाए। इमरजेंसी विंडो तक नहीं: मिली जानकारी के अनुसार1975 में कॉर्डियोलॉजी की बिल्डिंग को रेनोवेट कर ही पूरी बिल्डिंग को नया रूप दिया गया था। ऐसे में पूरी बिल्डिंग की खिड़कियों को बंद कर मोटे शीशे से सील किया जा चुका था। और सबसे बड़ी बात तो यह कि पूरी बिल्डिंग में एक भी इमरजेंसी विंडो नहीं बनाई गई। इससे बिल्डिंग के अंदर फ्रेश एयर कहीं से भी प्रवेश नहीं कर सकी। वहीं बिल्डिंग के अंदर आने-जाने के लिए 3 रास्ते हैं, लेकिन सभी रास्ते बिल्डिंग के कई गलियारों को पारकर बाहर निकलते हैं। जबकि सभी फ्लोर को जोड़ते हुए सीढि़यों को बिल्डिंग के बाहर बनाया जाना चाहिए था। ओपीडी में भी खानापूर्ति: हम बता दें कि कॉर्डियोलॉजी की मेन बिल्डिंग के बगल में बनी OPD में भी फायर सेफ्टी सिस्टम तो लगे हैं, लेकिन कोई कार्य करने लायक नहीं है। ऐसे में यहां भी आग लगी तो जानमाल की बड़ी हानि हो सकती है। सोर्सेज के अनुसार यहां भी फायर सेफ्टी को लेकर कोई इंस्पेक्शन फायर सेफ्टी द्वारा नहीं किया गया और पूरे सिस्टम शोपीस बनकर खड़े हैं। दूसरे वर्ष भी आंध्र प्रदेश सरकार ने रूप में लाई बजट के अध्यादेश दिल्ली में LG को पवार देने वाले विधेयक को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी बंगाल चुनाव: पहले चरण के मैदान हुए समाप्त, नंदीग्राम की सीटों पर टिकी सभी की निगाह