विश्व मौसम संगठन की और से एक बड़ा बयान आया है. उनका कहना है, की अगले 5 सालों में वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी होती रहेगी. विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने इस पर बहुत चिंता भी व्यक्त है. बता दे, की वैश्विक समझौते के तहत दुनिया के देशों ने दीर्घकालीन औसत तापमान वृद्धि को पूर्व औद्योगिक स्तरों से 1.5 - 2 डिग्री सेल्सियस के भीतर सीमित करने का लक्ष्य निर्धारित किया था. इसका यह मतलब नहीं है कि दुनिया लंबी अवधि की तापमान वृद्धि सीमा 1.5 डिग्री को पार कर जाएगी. तापमान के इस स्तर को वैज्ञानिकों ने विनाशकारी जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचने के लिए इसका निर्धारण किया गया है. वही इस बीच डब्ल्यूएमओ के सचिव पेटेरि तालस ने कहा है, की यह तापमान के बढ़ने की प्रवृत्ति को दर्शाता है. यह उस विशाल चुनौती को रेखांकित करता है जिसकी वजह से देशों ने पेरिस समझौते के तहत वैश्विक तापमान को 2 डिग्री के अंदर सीमित रखने का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है. इसी समझौते के तहत देशों को ग्रीन हाउस गैसों में कटौती करने के लिए कहा गया था. पेरिस जलवायु समझौता मूल रूप से वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने से जुड़ा है. साथ-साथ यह समझौता सभी देशों को वैश्विक तापमान बढ़ोत्तरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक रखने का प्रयास करने के लिए भी कहता है. तभी जलवायु परिवर्तन के खतरनाक प्रभावों से बचा जा सकता है. डब्ल्यूएमओ का कहना है, कि 20 फीसदी संभावना है कि औसत सालाना तापमान 1.5 डिग्री के स्तर को साल 2020-2024 के बीच कभी भी छू लेगा. इस बीच, उन वर्षों में से प्रत्येक में पूर्व-औद्योगिक स्तरों से कम से कम 1 डिग्री ऊपर होने की "संभावना" है. बताया जा रहा है, की लगभग हर क्षेत्र इसका प्रभाव महसूस करेगा. क्या आयुर्वेद में मिलेगा कोरोना का तोड़ ? भारत के बाद अब अमेरिका शुरू करेगा ट्रायल पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 से चीनी सेना के पूरी तरह पीछे हटने के बाद आया चीन का बयान अमेरिका ने फिर किया चीन पर हमला, खिलाफत में किया ऐसा काम