'हाई कोर्ट जाओ..', सीएम हेमंत सोरेन को 'सुप्रीम' झटका, ED की जांच रुकवाने पहुंचे थे SC

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) के समन के खिलाफ झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की याचिका पर विचार करने से आज सोमवार (18 सितंबर) को इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने सोरेन से अपनी याचिका संबंधित उच्च न्यायालय में जाने को कहा जिसके बाद झारखंड के मुख्यमंत्री ने अपनी याचिका वापस ले ली।

इससे पहले, हेमंत सोरेन ने ED को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की थी और उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने की मांग की थी। बता दें कि, केंद्रीय जांच एजेंसी एक दर्जन से ज्यादा भूमि सौदों की जांच कर रही है, जिसमें रक्षा भूमि से संबंधित एक सौदा भी शामिल है, जिसमें भू-माफिया, बिचौलियों और नौकरशाहों के एक समूह ने कथित तौर पर 1932 तक के फर्जी दस्तावेज और कागज़ात तैयार किए थे। ED पूछताछ करना चाहती है। सोरेन एक भूमि घोटाला मामले में हैं, जिसमें उन्होंने और उनके परिवार ने कथित तौर पर धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) का उल्लंघन किया था।

हेमंत सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट से क्या कहा?

हस्तक्षेप आवेदन में, सीएम सोरेन की टीम ने कहा था कि, "समन का अवलोकन स्वयं प्रवर्तन निदेशालय के राजनीतिक मकसद और एजेंडे को उजागर करता है, जिसने अपने कार्यों से उस उद्देश्य को कमजोर कर दिया है जिसके लिए इसे एक वैधानिक प्राधिकरण के रूप में गठित किया गया था।" इसमें आगे कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट को ED की शक्तियों को विनियमित करना चाहिए और इसके संचालन के लिए मानदंड निर्धारित करने चाहिए ताकि "उन लोगों को निशाना बनाने के लिए बेशर्मी से इसका दुरुपयोग न किया जाए जो सत्तारूढ़ शासन के साथ अनुकूल स्थिति में नहीं हैं।''

झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) हेमंत सोरेन की कानूनी टीम ने केंद्र सरकार पर "ED का इस्तेमाल" करने का आरोप लगाया और कहा था कि "आम चुनाव की तारीख नजदीक आने और सत्तारूढ़ के खिलाफ विपक्षी गठबंधन इंडिया के गठन के साथ हमलों की गति तेज हो गई है।" इसमें कहा गया था कि विवादित समन का समय 1 सितंबर को मुंबई में इंडिया ब्लॉक की बैठक के समानांतर है। सोरेन को 9 सितंबर को केंद्रीय एजेंसी के सामने पेश होने के लिए कहा गया था लेकिन वह दिल्ली के लिए रवाना हो गए। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने सोरेन की याचिका सुनने से इंकार कर दिया। 

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