आप सभी को बता दें कि नवरात्र में चौथे दिन मां कुष्मांडा की आराधना की जाती है और जब सृष्टि नहीं थी, चारों तरफ अंधकार था, तब मां ने अपने ईषत्‌ हास्य से ब्रह्मांड की रचना की. इस कारण से मां को आदिस्वरूपा, आदिशक्ति कहा जाता है. कहते हैं मां का वास सूर्यमंडल के भीतर लोक में है और सूर्यलोक में रहने की शक्ति केवल इन्हीं में हैं. ऐसे में मनुष्यों में जो भी तेज है, वह माता की कृपा से है। मां की आराधना से रोग और शोक का नाश होता है और आयु, यश, बल और आरोग्य प्राप्त होता है. इसी के साथ मां अल्प सेवा से प्रसन्न हो जाती हैं और मां की उपासना से उदर रोग कभी नहीं होता. इसी के साथ मां कुष्मांडा अष्टभुजा देवी नाम से भी विख्यात हैं और मां की उपासना से मनुष्य सुख, समृद्धि और उन्नति की ओर अग्रसर होता है. कहते हैं मां की पूजा के साथ भगवान शिव की आराधना अवश्य करें और साथ ही भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा भी करें. आपको बता दें कि मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाना चाहिए.कहते हैं मां की पूजा से निर्णय लेने की क्षमता विकसित होती है और मां की पूजा लाल रंग के फूलों से करें. आज आप माँ को सूजी से बने हलवे का भोग लगा सकते हैं और शृंगार में मां को चंदन अर्पित करें. इसी के साथ कहा जाता है मां कुष्मांडा की आराधना से निसंतानों को संतान की प्राप्ति होती है और माता के तेज से दसों दिशाएं आलोकित हैं. इसी के साथ ब्रह्मांड में इन्हीं का तेज व्याप्त है और सच्चे मन से मां की पूजा करने से परम पद की प्राप्ति होती है. ऐसे में माता की आराधना में काले रंग के वस्त्रों को छोड़कर किसी भी रंग के वस्त्र धारण कर सकते हैं और मां कुष्मांडा का प्रिय रंग हरा और पीला माना जाता है. आपके सभी पापों का अंत कर देंगे दुर्गा सप्तशती के 13 अध्यायों के 13 मंत्र और 13 आहुतियां आज ऐसे करने शिव-पार्वती की पूजा राम नवमी पर अपनी समस्याओं के लिए जरूर पढ़े रामचरितमानस की यह चौपाई