हर साल दिवाली का ख़ास उत्सव मनाया जाता है. ऐसे में आप सभी जानते ही हैं कि दीपावली कार्तिक अमावस्या रविवार 27 अक्टूबर को मनायी जाती है जो इस बार 27 अक्टूबर को है. आपको बता दें कि इस दिन धन और सौभाग्य की अधिष्ठात्री महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए ख़ास पूजन किया जाता है और प्रदोष काल में स्थिर लग्न में मां महालक्ष्मी की पूजा अतिफलदायी मानी जाती है। ऐसे में श्रद्धालु शुभ के देवता गणेश, लाभ की देवी महालक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा-अर्चना करेंगे और मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए हर तबका अपनी-अपनी तैयारी कर रहा है। घरों की खास सजावट की तैयारी है। ऐसे में शुभ मुहूर्त में पूजा करने पर लक्ष्मी व्यक्ति के पास ही निवास करती हैं. जी हाँ, वहीँ ‘ब्रह्मपुराण’ की माने तो आधी रात तक रहने वाली अमावस्या तिथि ही महालक्ष्मी पूजन के लिए श्रेष्ठ होती है. इसी के साथ कई ज्योतिषों का कहना है की इस साल कार्तिक अमावस्या का संयोग दो दिन हो रहा है यानी सोमवार की सुबह नौ बजे तक अमावस्या है और रविवार को दोपहर 12:13 से अमावस्या शुरू है. इस कारण से 27 अक्टूबर को ही दीपावली पूजन किया जाए तो शुभ होगा. रामायण,महाभारत काल से ही दीपावली की परंपरा - आपको बता दें कि मान्यता है कि भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास से वापस अयोध्या लौटने और पांडवों के 13 वर्ष के वनवास-अज्ञातवास से लौटने पर लोगों ने दीप जलाकर अपनी खुशी का इजहार किया था. इसी के साथ स्कंध पुराण,विष्णु पुराण के मुताबिक भगवान विष्णु और श्री लक्ष्मी के विवाह के उपलक्ष्य में दीपावली मनायी जाती है. तो आइए जानते हैं शुभ काल और लग्न और मुहूर्त. वृष लग्न सायं 6.21 से 8.18 बजे के बीच स्थिर वृष लग्न: शाम 6:42 से रात्रि 8:37 बजे निशिथ काल: शाम 5:40 से रात्रि 7:18 बजे कर्क और सिंह लग्न : रात्रि 10:50 से 01:14 बजे के बीच जो मावा आपने ख़रीदा है, कहीं वो नकली तो नहीं, इस तरह लगाएं पता दिवाली और छट पर जाना हो घर तो ना हों परेशान, रेलवे ने शुरू की है विशेष ट्रेनें 26 अक्टूबर को है रूप चौदस, जानिए क्यों मनाते हैं यह त्यौहार