नई दिल्ली: दिल्ली के नेशनल और शिवाजी स्टेडियम में हॉकी देखने जाएं। कुछ चेहरे ऐसे हैं, जो आपको देखने को मिलेंगे ही। कुछ वर्ष पूर्व तक यह बड़ा आम हुआ करता था। पिछले कुछ साल से घरेलू हॉकी टूर्नामेंट का स्तर बहुत तेजी से निचे आया है। जिसके बाद ये नजारा बदल गया है। वरना, जो लोग हमेशा नजर आते थे, उनमें एक छह फुटे, छरहरे कद के थोड़ा झुके हुए, सिर पर टोपी लगाई हुई एक शख्सियत थी। वो आरएस भोला थे, रघुबीर सिंह भोला। अभ्यास के दौरान जमकर पसीना बहाते नजर आया यह युवा भारतीय बल्लेबाज आर एस भोला 1956 की गोल्ड मेडलिस्ट हॉकी टीम के खिलाड़ी। साथ ही वे 1960 की सिल्वर मेडलिस्ट टीम के भी सदस्य रहे थे। भोला साहब उस उम्र के लोगों से एक मायने में भिन्न थे। उनसे बात करने का मतलब यह बिलकुल नहीं था, कि आपको वो अपने दौर के किस्से कहानियां सुनाएंगे। यकीनन ‘हमारे समय में’ जैसे वाक्य उनकी बातचीत में निरंतर आते थे। एक उम्र के बाद वाकई ऐसे लोग ढूंढ़ना थोड़ा मुश्किल हो जाता है, जिनकी बातचीत ‘हमारे जमाने में’ जैसे शब्दों से शुरू न होती हो। किन्तु भोला उसके बाद भविष्य की तरफ निकल जाते थे। उनके पास बाकायदा सब कुछ फाइल में एकत्रित था। फाइल में भारतीय हॉकी को नै ऊंचाइयों पर ले जाने का तरीका था। इसके बारे में वो सबसे चर्चा भी करना चाहते थे। एएफसी एशियन कप : सऊदी अरब को हराकर जापान ने क्वार्टर फाइनल में बनाई जगह किन्तु उनकी उस फाइल को पढ़ने या उनकी बातों को ध्यान से सुनने का सब्र हॉकी से सम्बंधित तमाम लोगों के पास नहीं था. इसी उम्मीद को लिए सोमवार 21 अक्टूबर को वो दुनिया छोड़ गए. आज भी जब हम मुल्तान की बात करते हैं, तो वीरेंद्र सहवाग का तिहरा शतक याद आता है, मुल्तानी मिट्टी की याद आती है, किन्तु उसी मिट्टी से निकले आरएस भोला की याद, शायद ही आज के जमाने के लोगों को आती हो। भुला दिए गए कई हीरो में आरएस भोला का नाम भी शामिल है। स्पोर्ट्स अपडेट:- आईसीसी ने की वन-डे और टेस्ट टीम की घोषणा, कोहली को मिली ये जिम्मेदारी आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में मजबूत स्थिति में पंत और कोहली शुरुआत मुकाबले में भारतीय महिला फुटबॉल टीम ने हॉन्कॉन्ग को दी करारी शिकस्त