नई दिल्लीः अर्थव्यवस्था को लेकर सरकार को लगातार नकारात्मक खबरें मिल रही हैं। सरकार के तमाम दावों को दरकिनार करते हुए अतरराष्ट्रीय संस्थाएं भारत के विकास दर अनुमान को घटा रही हैं। इस कड़ी में वैश्विक कंपनी गोल्डमैन सैश भी शामिल हो गई है। गोल्डमैन सैश के अनुसार भारत का विकास दर 6 फीसद से नीचे जा सकता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मौजूदा आर्थिक संकट 2008 से बड़ा है। गोल्डमैन सैश ने खपत में गिरावट को बड़ी चुनौती बताया है, मगर इसके लिए गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के संकट जिम्मेदार ठहराने से इनकार कर दिया है। उसने कहा है कि आईएल एंड एफएस के पेमेंट संकट से पहले ही खपत में गिरावट शुरू हो गई थी। दरअसल कई लोगों ने खपत में नरमी के पीछे एनबीएफसी संकट जिम्मेदार ठहराया है। जानकारी के लिए बता दें कि एनबीएफसी संकट सितंबर 2018 में शुरू हुआ। उस समय आईएल एंड एफएस में पहले पेमेंट संकट का मामला सामने आया था। उसके बाद इन संस्थानों से खपत के लिए वित्त पोषण थम गया। ब्रोकरेज कंपनी गोल्डमैन सैश की वाल स्ट्रीट में मुख्य अर्थशास्त्री प्राची मिश्रा ने बताया कि खपत में जनवरी 2018 से गिरावट जारी है। जबकि आईएल एंड एफएस की ओर से चूक अगस्त 2018 की बात है। इसलिए यह काफी पुरानी बात है। खपत में गिरावट को कुल वृद्धि में कमी में एक तिहाई योगदान है। एक कार्यक्रम में प्राची ने कहा कि फिलहाल नरमी की स्थिति है और वृद्धि के आंकड़े 2 फीसद नीचे आए हैं। हालांकि, प्राची ने दूसरी छमाही में आर्थिक वृद्धि के बढ़ने की उम्मीद जताई। इसके पीछे वजह आरबीआई की सस्ती मौद्रिक नीति को बताया गया है। बता दें कि खराब आर्थिक हालत के कारण विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है। घर के बाहर टहल रहे बर्तन व्यवसायी की हत्या, इलाके में फैली दहशत माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला का वेतन बढ़कर हुआ इतना इस दिग्गज उद्योगपति ने खुद को बताया 'एक्सीडेंटल स्टार्टअप निवेशक'