भोपालः देश में मधुमेह से पीड़ित लोगों की संख्या में भारी इजाफा हो रहा है। इस बीमारी के चपेट में अब बच्चे भी आने लगे हैं। अमूमन अधिकतर व्यस्क एक निश्चित उम्र के बाद इसके गिरफ्त में आ जाता है। अब तक इस बीमारी का कोई सटीक इलाज नहीं खोजा गया है। लेकिन अब इस बीमारी को देश में कंट्रोल किया जा सकेगा। देश में इस बीमारी से जुझ रहे लोगों के लिए एक राहत भरी खबर आई है। आने वाले एक साल के अंदर इलाज की दो नई तकनीकें भारत में आने की उम्मीद है। इनमें इंडोस्कोपी के जरिये इलाज कर मधुमेह (डायबिटीज) को नियंत्रित किया जा सकेगा। इसमें एक 'इंडो स्लीव' तकनीक है। इस तकनीक से आंतों तक खाना जाने का रास्ता बदल दिया जाता है। खाना पेट के ऊपरी हिस्से (डियोडोनम थर्ड पार्ट) को बायपास कर सीधे आंतों तक जाता है। यहां खाना पहुंचने से इंसुलिन की सक्रियता (सेंसिटीविटी) बढ़ जाती है। मुंबई के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिजिस्ट और पद्म श्री डॉ. अमित मायदेव ने इस संबंध में जानकारी दी। मायदेव ने कहा कि डियोडेनम के इस हिस्से में खराब इंटेरो इंडोक्राइन सेल्स होती हैं। जो खाने को पकड़ती हैं, जिससे शुगर का स्तर बढ़ जाता है। इन्हें बायपास कर खाना अगले हिस्से में पहुंचाया जाता। ऐसे में पैंक्रियाज से इंसुलिन ज्यादा बनता है। इंसुलिन की सक्रियता भी बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि दूसरी तकनीक डियाडेनल म्योकजल रिसरफेसिंग है। इसमें खराब इंटेरो इंडोक्राइन सेल्स को लेजर के जरिये जला दिया जाता है। भोजन इनके संपर्क में नहीं आता और शुगर नहीं बढ़ती। विदेश इन दोनों तकनीकों का उपयोग हो रहा है। मायदेव ने बताया कि भारत में भी शीघ्र यह दो तकनीक आ जाएंगी। इस उत्पाद में है अनोखी खासियत, चेहरे से झुर्रियों और काले दाग होंगे कम अगर आपके जीवन में है अनियमिता तो, इन बातों का रखे ख्याल अगर बढ़ाना चाहते हैं अपना वजन, तो दूध के साथ करें इस वस्तु का सेवन