देहरादून: केंद्र सरकार ने एक दशक से भी अधिक वक़्त से अटकी बहुप्रतीक्षित यमुनोत्री रोपवे परियोजना को अनुमति दे दी है। जिला पर्यटन अफसर राहुल चौबे ने कहा कि खरसाली से यमुनोत्री तक 3।7 किलोमीटर रोपवे न सिर्फ हिमालय के मंदिर की दूरी को कम करेगा बल्कि तीर्थयात्रियों, खास तौर पर बुजुर्गों को तकरीबन 5 किलोमीटर की कठिन यात्रा करने से भी बचाएगा। आगे राहुल चौबे ने कहा कि खरसाली के ग्रामीणों ने परियोजना के लिए तकरीबन 14,880 वर्ग गज (62 नाली) जमीन दी थी। हालांकि, इस उद्देश्य के लिए वन भूमि के अधिग्रहण में अड़चनों की वजह से इसे आरम्भ नहीं किया जा सका था। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने अब परियोजना के लिए 3।8 हेक्टेयर भूमि पर्यटन विभाग को हस्तांतरित कर दी है। बता दें कि यमुनोत्री धाम उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। प्रदेश के 4 धामों में गिना जाने वाले यमुनोत्री धाम पहुंचने के लिए फिलहाल लोगों को सड़क मार्ग से जानकी जट्टी तक पहुंचना होता है। तत्पश्चात, यमुनोत्री धाम यानी मंदिर जाने के लिए लगभग 5 किलोमीटर की पैदल खड़ी चढ़ाई करनी होती है। इस पैदल मार्ग पर तीर्थयात्रियों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मार्ग सकरा होने के कारण यहां जाम भी लग जाता है। इन सब दिक्कतों को देखते हुए वर्ष 2006 में यमुनोत्री धाम को रोपवे से जोड़ने का प्रस्ताव बना था, जिसके लिए पर्यटन विभाग द्वारा 2012 में निविदा भी जारी की गई थी मगर सरकारों की दृढ़ इच्छाशक्ति के अभाव में 15 वर्ष गुजर जाने के पश्चात् भी ये रोपवे की परियोजना को अनुमति नहीं मिल सकी। इस क्षेत्र में रोपवे बनने से यात्रियों की रिकार्ड आमद होगी जिससे चारधाम यात्रा से जुड़े कारोबारियों को फायदा होने के साथ-साथ स्थानीय होटल, कारोबारियों के आमदनी का माध्यम भी बढ़ेगा। बता दें कि यमुनोत्री में रोप वे का इंतजार स्थानीय लोग ही नहीं देश- विदेश के आम भक्त भी कर रहे हैं। त्रिपुरा में मतदान जारी, 9 बजे तक 12.76 फीसद वोटिंग दर्ज आगरा के लाल किले में आई दरार, ASI ने सैलानियों के जाने पर लगाई पाबंदी विकास यात्रा के बीच शिवराज सरकार के मंत्रियों को बुलाया भोपाल, होगी अहम बैठक