Google Doodle : LGBTQ+ प्राइड है खास, जानिए कैसा रहा 50 साल का सफर

अपने होम पेज पर सर्च इंजन कंपनी गूगल ने खास डूडल आज LGBTQ+ प्राइड के नाम किया है. इस डूडल में कई स्लाइड्स में समुदाय के प्राइड परेड का 50 साल का सफर दिखाया गया है. समाज में गे, लेस्बियन, ट्रांसजेंडर, बायसेक्सुएल और क्वीर जैसी लैंगिकता को पहचान मिलने और स्वीकार्यता के प्रतीक के तौर पर प्राइड मंथ मनाया जाता है. जून के महीने में LGBTQ+ लैंगिकता वाले लोग अपनी पहचान पर गर्व करते हुए इसका उत्सव मनाते हैं. यात्रा को 10-10 साल के अंतराल पर डूडल में प्राइड मे बदलते हुए दिखाया गया है. आगे जाने पूरी अन्य जानकारी 

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किसी उत्सव की तरह LGBTQ+ समुदाय के लिए प्राइड है और यह उनकी आजादी और स्वीकार्यता का प्रतीक है. न्यू यॉर्क सिटी में इस मौके पर क्रिस्टोफर स्ट्रीट पर प्राइड परेड का आयोजन होता है, जिसमें LGBTQ+ समुदाय के लोग हिस्सा लेते हैं. यह उनके लिए गर्व करने का मौका होता है और इस तरह की प्राइड परेड का आयोजन न्यू यॉर्क के अलावा दुनियाभर के अलग-अलग देशों में इस समुदाय के लोग करते हैं. LGBTQ+ लैंगिकता को लंबे समय तक दुनियाभर में नकारा गया और अपने अधिकारों के लिए लंबी लड़ाई ऐसे लोगों को समाज में  लड़नी पड़ी है.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे​ कि दुनिया के अब भी समलैंगिकता को अपराध कई देशों में  माना जाता है. इस भेदभावपूर्ण रवैये के खिलाफ आवाज सबसे पहले अमेरिका में उठी और समलैंगिकता को मान्यता देने की लड़ाई 1950 से ही शुरू हो गई थी. यहां 1960 तक बदलाव की आवाज सुनाई देने लगी. वहीं, बड़ा तबका ऐसे लोगों का भी था, जो समलैंगिकता का विरोध कर रहे थे. ऐसे में विरोध तेज हो गया और अमेरिका में समलैंगिक और ट्रांसजेंडर सड़कों पर उतर आए. यह दुनिया की पहली प्राइड परेड थी और बाद में एक बड़े बदलाव का प्रतीक भी बनी. न्यूयॉर्क में इस साल प्राइड परेड खास होगी क्योंकि LGBTQ+ के 50 साल इस बार पूरे हो रहे हैं. साथ ही दुनिया के कई देशों में प्राइड मंथ के दौरान परेड का आयोजन किया जाएगा. भारत के पुणे में भी बीते 2 जून को LGBTQ+ समुदाय के लोगों ने परेड का आयोजन किया और सैकड़ों की तादाद में इसमें हिस्सा लिया. कई विदेशी भी इसका हिस्सा बने. बता दें, भारत में समलैंगिकता को मान्यता देते हुए अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है. यह ऐतिहासिक फैसला 6 सितंबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था.

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