सनातन धर्म में गोपाष्टमी का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को धूमधाम से मनाया जाता है। इसे विशेष रूप से प्रभु श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में देखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन प्रभु श्रीकृष्ण ने पहली बार गौचारण (गायों को चराने) का कार्य आरम्भ किया था, इसलिए इसे गोपाष्टमी कहा जाता है। श्रीमद्भागवत पुराण में इसका उल्लेख प्राप्त होता है कि श्रीकृष्ण को गायों के प्रति अत्यंत प्रेम था तथा वे हमेशा उनके साथ खेलते और उनकी देखभाल करते थे। इसी कारण गोपाष्टमी का पर्व गौमाता की पूजा और श्रीकृष्ण के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का दिन बन गया है। पंचांग के मुताबिक, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 8 नवंबर को रात 11:56 बजे से आरम्भ होकर 9 नवंबर को रात 10:45 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के मुताबिक, गोपाष्टमी का पर्व 9 नवंबर को मनाया जाएगा। ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:54 से 5:47 बजे तक विजय मुहूर्त: दोपहर 1:53 से 2:37 बजे तक गोधूलि मुहूर्त: शाम 5:30 से 5:57 बजे तक अभिजित मुहूर्त: सुबह 11:43 से 12:26 बजे तक गोपाष्टमी की पूजा विधि: प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें तथा साफ-सुथरे कपड़े पहनें। पूजा के लिए एक साफ जगह चुनें एवं उसे फूल, दीपक और धूप से सजाएं। गाय को साफ करें तथा उसे फूल-माला पहनाएं। गाय को जल अर्पित करें और हरा चारा, फल, तथा रोटी खिलाएं। गाय माता के मंत्रों का जाप कर विधिपूर्वक पूजा करें। फिर गाय माता की आरती करें और अंत में भोग लगाएं। गोपाष्टमी के दिन जरूरतमंदों को दान जरूर करें। बेहद अशुभ है इन चीजों का हाथ से गिरना अशुभ, ना करें अनदेखा कल होगा शुक्र का राशि परिवर्तन, इन 3 राशियों के लिए शुभ छठ पूजा का दूसरा दिन आज, जानिए खरना का महत्व