नई दिल्लीः केंद्र सरकार अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ा कदम उठाने जा रही है। सरकार ने पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोंतों से होने वाले प्रदूषण को देखते हुए देश में अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए बड़ा ऐलान किया है। इस संबंध में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने केंद्रीय लोक उपक्रमों को फोटोवोल्टिक बिजली परियोजनाएं स्थापित करने को कहा है। ये परियोजनाएं 12,000 मेगावाट की ग्रिड से जुड़ी होंगी। सरकार का लक्ष्य साल 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से 1,75,000 मेगावाट ऊर्जा का उत्पादन करना है। इसके लिए सरकार को शेष बचे समय में हर साल 30 हजार नई मेगावाट क्षमता की स्थापना करनी होगी। इससे पहले रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि देश नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य को प्राप्त करने से चूक सकता है। क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि हालिया रफ्तार से सरकार साल 2022 के लिए तय किये गए अपने लक्ष्य से 42 फीसद पिछड़ सकती है। क्रिसिल की इस रिपोर्ट के बाद मंत्रालय द्वारा यह कदम उठाया गया है। मंत्रालय ने नवीकरणीय ऊर्जा में पब्लिक सेक्टर से निवेश को आकर्षित करने के लिए CPSU स्कीम पार्ट-2 भी जारी किया है। सरकार इसके जरिये नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य तो पूरा करना चाहती ही है, साथ ही घरेलू सौर उपकरण विनिर्माण क्षमता को बढ़ाना चाहती है। साथ ही यह अगले 5 सालों में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर सौ लाख करोड़ रुपये का निवेश करने की दिशा में भी एक कदम है। बता दें कि भारत उन देशों में शुमार है जहां बिजली उत्पादन के लिए बड़े पैमाने पर तेल और कोयला जैसे पारंपरिक स्त्रोंतों का प्रयोग किया जाता है। एचडीएफसी बैंक ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर किया यह दावा ईरान को लगा बड़ा झटका, गैस परियोजना से फ्रांसीसी कंपनी के बाद चीन ने भी खींचे हाथ इन कंपनियों ने सरकार को चुकाया 94 करोड़ रुपये का स्पेक्ट्रम बकाया