देहरादून: बृहस्पतिवार को भर्ती परीक्षाओं को लेकर हुए हंगामे के बीच सरकार ने नकल विरोधी अध्यादेश को अनुमति दे दी। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने विशेषाधिकार का उपयोग करते हुए अध्यादेश के प्रस्ताव को विचलन से अनुमति दे दी। देर शाम साथ ही इसे अनुमति के लिए राजभवन भी भेज दिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार प्रदेश के युवाओं के हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह से सजग है। पहले की भांति न तो किसी भी भर्ती घोटाले को दबाया है तथा न छुपाया गया है। अब तक जितने भी मामले सामने आए, हमने उनकी तहकीकात कराई। जो भी दोषी पाए गए, उन्हें जेल भी भेजा गया है। सीएम धामी ने कहा कि सरकार ने यह पहले ही तय कर लिया था कि भर्ती परीक्षाओं में नकल को रोकने के लिए कड़ा कानून बनाया जाएगा। ऐसी पुख्ता व्यवस्था की जा रही है कि भविष्य में होने वाली सारी परीक्षाएं पारदर्शी एवं नकल विहीन हों। पहले सरकार इसे 15 फरवरी को मंत्रिमंडल बैठक में लाने की तैयारी कर रही थी। किन्तु सीएम ने पहल करते हुए इसे आज ही स्वीकृति दे दी। नकल विरोधी अध्यादेश के मुताबिक, प्रदेश में नकल एक ग़ैर जमानती अपराध माना जाएगा। ऐसे मामलों में अपराधी को दस वर्षों तक के कठोर कारावास की सजा दी जा सकती है। अपराधी की अर्जित संपत्ति कुर्क करने का भी प्रावधान है। साथ ही धामी सरकार ने अध्यादेश में यह भी कहा है कि नकल करने वाले अभ्यर्थी पर दूसरी परीक्षाओं में बैठने पर पाबंदी लगाई जाएगी। सरकार ने लोक सेवा आयोग के परीक्षा नियंत्रक सुंदर लाल सेमवाल को हटा दिया। परीक्षा नियंत्रक की जिम्मेदारी फिलहाल हरिद्वार सिटी मजिस्ट्रेट अवधेश कुमार को दी गई है। सुंदरलाल को बाध्य प्रतीक्षा में रखा गया है। 'आप राहुल गांधी को पप्पू नहीं कह सकते, वो माननीय संसद हैं..', कांग्रेस नेता को अमित शाह ने दी नसीहत '5 इंटरनेशनल एयरपोर्ट वाला देश का पहला राज्य यूपी..', PM ने बताया- कैसे आया बदलाव ? शादी के मंडप में पहुंचते ही दुल्हन ने कर दिया फेरे लेने से इनकार और फिर जो हुआ...