सरकार ने भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज समेत अन्य टेलीकॉम कंपनियों से एजीआर बकाया मद में स्व-मूल्यांकन से संबंधित दस्तावेज मांगे गए हैं। इसके साथ ही दूरसंचार विभाग (डीओटी) के एक अधिकारी के अनुसार सरकार यह समझना चाह रही है कि टेलीकॉम कंपनियों ने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) बकाया देनदारी का अपने हिसाब से जो मूल्यांकन किया है, उसका आधार क्या है। इसके साथ ही अधिकारी ने कहा कि इन तीनों कंपनियों समेत अन्य ने अपनी बकाया देनदारी के जो आंकड़े बताए हैं, सरकार ने उसे स्थापित करने के लिए संबंधित दस्तावेजों की मांग की है। फिलहाल इसके लिए कंपनियों के सामने कोई समय-सीमा नहीं रखी गई है। वहीं ये दस्तावेज उन्हीं कंपनियों से मांगे जा रहे हैं, जिन्होंने डीओटी द्वारा निर्धारित बकाया को गलत और स्व-मूल्यांकन को सही बताया है। इसके साथ ही जो कंपनियां डीओटी की गणना को सही मान रही हैं, विभाग उनसे कोई दस्तावेज नहीं मांगेगा।सूत्र के अनुसार डीओटी यह भी सुनिश्चित करना चाहता है कि कंपनियां अपनी एजीआर बकाया देनदारी की गणना का जो तरीका अपना रही हैं, वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कसौटी पर है कि नहीं। अभी ये दस्तावेज तीन कंपनियों से ही मांगे गए हैं। इसके साथ ही आने वाले समय में इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स (आइएसपी) समेत एजीआर बकाया देनदारी की जद में आई सभी कंपनियों से इस तरह के दस्तावेज मांगे जाएंगे। अधिकारी का कहना था कि सभी कंपनियों से दस्तावेज हासिल हो जाने के बाद सरकार समयबद्ध तरीके से उनकी गणना और सत्यता का आकलन करेगी। इसके तहत टेलीकॉम कंपनियों द्वारा किसी भी एक वर्ष के लिए एजीआर देनदारी के दावे और सरकार की गणना में अंतर का आकलन किया जाएगा। इसके अलावा जब अधिकारी से पूछा गया कि कंपनियों से स्व-मूल्यांकन के समर्थन में दस्तावेज मांगने की वजह क्या है, तो उनका कहना था कि यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे आयकर विभाग आयकर दावों की जांच करता है| वहीं जरूरत के हिसाब से करदाता से संबंधित दस्तावेजों की मांग करता है। बैंकों की ब्याज दरों में अब भी है कटौती की गुंजाइश - RBI गवर्नर शक्तिकांत दास Donald Trump India visit: तीन अरब डॉलर से ज्यादा के रक्षा समझौते पर हुई सहमति SBI Cards IPO: क्या है आइपीओ का संभावित आकार और कीमत