जम्मू: जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा बड़ा मुद्दा बना हुआ है। नववर्ष के आरम्भ में राजौरी में हुए आतंकी हमले में सात व्यक्तियों की मौत हो गई थी। उस घटना के पश्चात् से ही कश्मीरी पंडितों को अपनी सुरक्षा की चिंता सताने लगी थी। अब उस बीच कश्मीर पंडितों के संगठन Panun Kashmir द्वारा केंद्र सरकार पर हमला बोला गया है। जोर देकर कहा गया है कि सरकार आतंकवाद पर नियंत्रण पाने में नाकाम रही है। Panun Kashmir के चेयरमेन अजय चुरुंगू बोलते हैं कि हम ये स्पष्ट करते हैं कि भारत सरकार आतंकवाद पर नियंत्रण पाने में नाकाम रही है क्योंकि वो अभी तक जम्मू कश्मीर में चल रहे युद्ध की धार्मिक प्रकृति को नहीं समझ पाई है। इस वक़्त ऐसा दिखाया जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का खतरा कम हो गया है। अब संगठन ने एक ओर सरकार को आईना दिखाने का काम किया है तो वहीं दूसरी तरफ उसकी तरफ से इस बात पर भी जोर दिया गया है कि अभी भी जम्मू-कश्मीर में सबसे अधिक हमले अल्पसंख्यकों पर ही हो रहे हैं। मांग की गई है कि कश्मीर घाटी में काम कर रहे कश्मीरी पंडित अफसरों को जम्मू शिफ्ट किया जाए। संगठन के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में चुनावों की घोषणा भी संभव है। ऐसे में चुनाव के वक़्त भी आतंकी संगठनों का प्रमुख टारगेट कश्मीरी पंडित ही रहने वाले हैं। अब ये कोई पहली बार नहीं है जब कश्मीरी पंडितों द्वारा ये मुद्दा उठाया गया हो। बीते वर्ष भी एक वक़्त ऐसा आया था जब निरंतर घाटी में टारगेट किलिंग का दौर चला था। कभी श्रमिकों को निशाना बनाया जा रहा ता तो कभी सरपंच गोली का शिकार बन रहे थे। उस वक़्त भी कश्मीरी पंडितों ने अपनी सुरक्षा का मुद्दा उठाया था। जमीन पर उतर विरोध प्रदर्शन भी किया गया था। अब एक बार फिर जमीन पर वहीं स्थिति बनती नजर आ रही है। '18 साल से पहले हुई शादी नहीं मानी जाएगी अमान्य', HC ने सुनाया बड़ा फैसला मंत्री नंद गोपाल नंदी को हुई 1 साल की जेल, जानिए पूरा मामला राम रहीम के पैरोल विवाद पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा का आया बड़ा बयान