गुरुवार को भारतीय रिज़र्व बैंक ने ट्वीट कर कहा कि कई मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि भारत सरकार ने राज्यों को वित्त वर्ष 2020-21 की अपनी कुल ऋण जरूरत का 50 फीसद अप्रैल 2020 में ही लेने की अनुमति दी है. आरबीआई ने कहा कि राज्य सरकार के लिए उक्त ऋण के लिए भारत सरकार की सहमति चालू वित्त वर्ष 2020-21 के पहले नौ महीनों के लिए लागू होती है. गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने राज्यों को उनकी वित्त वर्ष 2020-21 की कुल कर्ज सीमा का पचास फीसद वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों यानी अप्रैल 2020 से दिसंबर 2020 के बीच लेने की अनुमति दी है. वित्त मंत्रालय द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक को लिखे एक पत्र से यह बात सामने आई थी. इस वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था को हो सकता है 5 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान आपकी जानकारी के लिए बता दे कि वित्त मंत्रालय का यह पत्र व्यय विभाग की वेबसाइट पर मंगलवार को डाला गया था. इस पत्र के अनुसार वित्त मंत्रालय ने सभी राज्यों को अप्रैल से दिसंबर महीने के दौरान बाजार से कुल 3.20 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लेने की अनुमति दी है. मंत्रालय ने इस अनुमति का फैसला कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए राज्यों की केंद्र से बड़े फंड की मांग के बाद लिया है. पत्र के अनुसार, देश के 28 राज्यों को बाजार से कर्ज लेने की अनुमति दी गई है. क्रूड आयल को मिली संजीवनी, उत्पादन कटौती समझौते से कीमतों में आई तेजी इस मामले को लेकर व्यय मंत्रालय की वेबसाइट पर डाले गए इस पत्र के मुताबिक, उत्तर प्रदेश 29,108 करोड़, कर्नाटक 27,054 करोड़, गुजरात 26,112 करोड़ पश्चिम बंगाल 20,336 करोड़, महाराष्ट्र 46,182 करोड़और राजस्थान 16,387 करोड़ रुपये का कर्ज बाजार से ले सकता है. पत्र में यह भी कहा गया कि मौजूदा वित्त वर्ष के शुरुआती 9 महीनों में खुले बाजार से कर्ज लेने के लिए आगे की सहमति राज्यों से पूरी जानकारी प्राप्त होने के बाद दी जाएगी. जब तक कोरोना पर नियंत्रण नहीं, फ्लाइट्स का संचालन संभव नहीं - हरदीप सिंह पूरी कोरोना की मार से 70-80 के दशक में पहुंच जाएगा भारत, इकॉनमी को लगेगा बड़ा झटका MSME इंडस्ट्री को बचाने के लिए एक लाख करोड़ का पैकेज ! जल्द हो सकता है ऐलान