नई दिल्ली: राष्ट्रमंडल देशों (Commonwealth countries) में काम करने वाले मानवाधिकार संगठन, कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (CHRI) के फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (FCRA) लाइसेंस के निलंबन के 10 माह बाद अब केंद्र सरकार ने उल्लंघन का हवाला देते हुए लाइसेंस को स्थायी तौर पर निरस्त कर दिया है। सरकार के इस कदम के बाद CHRI को विदेशों से फंड नहीं मिल पाएगा। बता दें कि CHRI जेल सुधारों, सूचना तक पहुंच, बोलने की आज़ादी और नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर काम करता रहा है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार लाइसेंस रद्द करने का कारण गत वर्ष CHRI द्वारा किए गए उल्लंघन हैं। CHRI ने 2018-19 के लिए वार्षिक रिपोर्ट जमा नहीं की थी। इसके साथ ही CHRI ने उन प्रोजेक्ट्स के संबंध में भी सरकार को नहीं बताया, जिसके लिए NGO को विदेश से धन मिला था। एक अधिकारी ने बताया है कि उल्लंघन में ऐसे उदाहरण शामिल हैं जहां CHRI द्वारा भारत में प्राप्त विदेशी पैसे को भारतीय क्षेत्र के बाहर समाज के फायदे के लिए खर्च किया गया था। इसके साथ ही NGO ने एक विदेशी इकाई को परामर्श देने और इसके लिए पेशेवर शुल्क को अपने वार्षिक रिटर्न में विदेशी योगदान के तौर पर दर्शाया गया था। बता दें कि गृह मंत्रालय ने गत वर्ष 7 जून को 180 दिनों के CHRI के FCRA लाइसेंस को निलंबित कर दिया गया था और फिर NGO द्वारा किए गए उल्लंघन के मद्देनज़र इसे दिसंबर 2021 में 180 दिनों के लिए और बढ़ा दिया गया था। निलंबन को चुनौती देते हुए CHRI दिल्ली उच्च न्यायालय पहुंची थी, मगर फरवरी 2022 में कोर्ट ने NGO को कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया था। CHRI के प्रभारी निदेशक वेंकटेश नायक ने कहा है कि हम निरस्त करने को चुनौती देंगे। शीघ्र ही इसे लेकर हम बयान जारी करने वाले हैं। नाराज़ मुसलमानों को मनाने में जुटे अखिलेश यादव, आज़म खान के बाद अब शहजिल इस्लाम से मिलेगा सपा का प्रतिनिधिमंडल 'जल्द पिता से मिलकर दूंगा इस्तीफा...', खबरों में छाया लालू यादव के बेटे का ट्वीट अलवर में प्राचीन मंदिर तोड़े जाने पर तीन अधिकारी निलंबित, लेकिन कांग्रेस MLA पर अब भी कोई कार्रवाई नहीं