भारत सरकार ने लिम्फेटिक फिलेरियासिस, जिसे हाथीपांव के नाम से भी जाना जाता है, को खत्म करने के लिए एक बड़े अभियान की शुरुआत की है। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव गणपतराव जाधव ने इस अभियान के तहत द्वि-वार्षिक सामूहिक औषधि प्रशासन अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान के 2024 के दूसरे चरण की शुरुआत हो चुकी है, जिसमें बिहार, झारखंड, कर्नाटक, ओडिशा, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के 63 जिलों को लक्षित किया जाएगा। इन जिलों में घर-घर जाकर निवारक दवाएं वितरित की जाएंगी। लिम्फेटिक फिलेरियासिस क्या है? लिम्फेटिक फिलेरियासिस (एलएफ) एक गंभीर बीमारी है जिसे हाथीपांव के नाम से भी जाना जाता है। यह बीमारी गंदे या प्रदूषित पानी में पैदा होने वाले कुलेक्स मच्छर के काटने से फैलती है। संक्रमण आमतौर पर बचपन में होता है, लेकिन इसके लक्षण जैसे लिम्फोएडेमा (सूजन), हाथीपांव और स्क्रोटल सूजन (हाइड्रोसील) जीवन के बाद के वर्षों में दिखाई देते हैं। ये लक्षण स्थायी विकलांगता का कारण बन सकते हैं। भारत में लिम्फेटिक फिलेरियासिस का हाल लिम्फेटिक फिलेरियासिस भारत के 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 345 जिलों में दर्ज की गई है। इसमें बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं, जहां 90% मामलों का बोझ है। सरकार ने 2027 तक इस बीमारी को खत्म करने के लिए एक व्यापक पांच-तरफा रणनीति अपनाई है: मिशन मोड एमडीए (मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) - दवाओं का सामूहिक वितरण मोर्बिडिटी मैनेजमेंट एंड डिसेबिलिटी प्रिवेंशन (एमएमडीपी) - बीमारी की स्थिति और विकलांगता की रोकथाम वेक्टर कंट्रोल - मच्छरों की निगरानी और नियंत्रण हाई-लेवल एडवोकेसी - जागरूकता और समर्थन नवाचारी दृष्टिकोण - नई तकनीकों और विधियों का प्रयोग अभियान की प्रगति अब तक, 138 जिलों ने एमडीए का अभियान समाप्त कर दिया है और ट्रांसमिशन असेसमेंट सर्वे (टीएएस 1) पूरा किया है। 159 जिलों में वार्षिक एमडीए चल रहा है। 41 जिले प्री-टीएएस/टीएएस के विभिन्न चरणों में हैं। 2023 तक, लिम्फोएडेमा के 6.19 लाख मामले और हाइड्रोसील के 1.27 लाख मामले दर्ज किए गए हैं। यह अभियान भारत के प्रयासों में महत्वपूर्ण प्रगति का संकेत है। सरकार की नई रणनीति सरकार ने इस बीमारी को खत्म करने के लिए एक नई रणनीति बनाई है, जिसमें दवाओं का वितरण, मच्छरों का नियंत्रण और लोगों को जागरूक करना शामिल है। इस अभियान के तहत, 63 जिलों में घर-घर जाकर दवाएं वितरित की जाएंगी और लोगों को इस बीमारी के बारे में जानकारी दी जाएगी। सरकार ने कहा है कि इस अभियान के लिए 90% लोगों को दवाएं लेना जरूरी है, ताकि बीमारी को पूरी तरह से खत्म किया जा सके। लिम्फेटिक फिलेरियासिस के लक्षण और कारण लिम्फेटिक फिलेरियासिस एक मच्छर जनित बीमारी है जो अंगों में सूजन और विकृति का कारण बनती है। इसके लक्षणों में अंगों में सूजन, दर्द और अपंगता शामिल हैं। राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने इस बीमारी के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि मच्छर से बचने और एंटी-फिलेरियल दवाएं लेने जैसे उपाय बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इस अभियान के सफल होने के लिए यह आवश्यक है कि 90% योग्य आबादी दवाओं का सेवन करे। स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, मंगल पांडे, दामोदर राजनरसिम्हा, डॉ. मुकेश महालिंग, जय प्रताप सिंह और दिनेश गुंडू राव जैसे कई प्रमुख नेताओं ने इस अभियान में भाग लिया और इसका समर्थन किया है। 16 की उम्र में इस एक्ट्रेस ने लिए थे दर्दनाक हॉर्मोनल इंजेक्शन्स! अब सालों बाद खुद कही ये बात कैटरीना कैफ की देवरानी बनेगी ये अदाकारा! खुद एक्टर ने कही ये बात कैंसर से जंग जीतने के बाद कैसे फिट हैं संजय दत्त, खुद किया खुलासा