मध्य प्रदेश: शराब की दुकानें बढ़ाने को लेकर जारी प्रस्ताव आबकारी विभाग ने किया निरस्त

भोपाल: मध्य प्रदेश में शराब को लेकर आबकारी आयुक्त राजीव चंद्र दुबे ने एक आदेश जारी किया था। उसी आदेश के कारण सियासी संग्राम शुरू हो गया। जी दरअसल उन्होंने जो आदेश जारी किया था उस आदेश में शराब को लेकर कुछ निर्णय थे जो सभी जिलों के कलेक्टर को दिया था। जैसे ही इस आदेश के बारे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पता चला तो उन्होंने इसे तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया है। आप सभी को हम यह भी बता दें कि तीन दिन पहले गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने शराब की नई दुकानें खोलने वाला बयान दिया था और उसी के कुछ घंटे बाद ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था, 'ऐसा कोई फैसला नहीं हुआ है।'

यह सब होने के बाद भी बीते 21 जनवरी को आबकारी आयुक्त राजीव दुबे ने सभी कलेक्टरों को एक पत्र जारी कर दिया और जिलों में 20% नई दुकानें खोलने के लिए प्रस्ताव मंगवा लिए। इसके बाद ही सियासी संग्राम आरम्भ हो गया। जैसे ही यह मामला सामने आया वैसे ही इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने सोशल मीडिया पर नाराजगी जताई। उन्होंने भोपाल में पूर्णत: शराबबंदी के मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कहा, ‘नशा करने के बाद ही दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ रही हैं। इसलिए शराबबंदी, नशाबंदी होनी चाहिए। दिग्विजय सिंह ने भी शराबबंदी का समर्थन कर दिया’। वहीं उमा भारती के बयान पर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से कहा, ‘उन्होंने और मैंने अपनी-अपनी बात रखी है। नई दुकानें खोलने पर अंतिम फैसला मुख्यमंत्री लेंगे।'

अब इसी क्रम में आबकारी विभाग का कहना है, ‘हमने कलेक्टरों से नई दुकानों के सुझाव मांगे हैं, क्योंकि यह सिर्फ एक रुटीन प्रक्रिया है। प्रस्ताव रद्द क्यों किए, इस पर कुछ नहीं बोलना है’।

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