6 अप्रैल की सुबह GPS आपको ले जाएगा 1999 में कंफ्यूज

किसी समय या कभी ना कभी आपने यह शब्द Déjà vu तो सुना होगा? कभी आपने यह   अनुभव किया है? या नही किया तो 6 अप्रैल को आपको Déjà vu महसूस होने वाला है. ज्यादा कंफ्यूज  न हो कि हम किस बारे में बात कर रहे हैं? यह पूरा माजरा इस प्रकार है कि 6 अप्रैल को पूरी दुनिया मे GPS अपनी लिमिट पर पहुंचकर रिसेट होगा. इस घटना से क्या होगा आइए जानते है.इस पूरे माजरे का सम्बंध GPS की परेशानी से है. जिसमे US की 31 सैटेलाइट्स शामिल है. प्राप्त जानकारी के अनुसार ये सैटेलाइट्स GPS टाइम पर निर्भर रहती हैं. यह GPS टाइम को एक हफ्ते मे काउंट करने के लिए 10 बिट्स लेता है.

निर्माताओ ने इन सैटेलाइट्स में डाटा की एक सीमा तय की है जिसके तहत 1024 हफ्ते या 19.7 वर्षों बाद इसकी सभी घड़ियों को दोबारा से रिसेट करना पड़ता है. इस घ​ड़ी का समय आने वाली 6 अप्रैल को पूरा होने वाला है. आप यह सोच रहे होगे हमे इससे क्या मतलब तो आपको बात दे कि 21 अगस्त 1999, जब पिछली बार यह डाटा रिसेट हुआ था. आपके मन में सवाल तो जरूर उठ रहा होगा की इससे हमारा क्या लेना-देना? तो आप जरा यह सोचे की 21 अगस्त 1999, जब पिछली बार यह डाटा रिसेट हुआ था, उस समय कितनी डिवाइसेज GPS का उपयोग करती थी?

वही अब कितनी डिवाइसेज GPS का इस्तेमाल करती हैं? वर्तमान समय मे स्मार्टफोन्स से लेकर कार, प्लेन, शिपिंग, ट्रांसपोर्टेशन हर जगह GPS का इस्तेमाल होता हैं.6 अप्रैल को होने वाली घटना मे मिलियन की तादात में इस्तेमाल हो रही GPS इनेबल डिवाइसेज रिसेट हो जाएंगे और सभी डिवाइसेज पर 21 अगस्त 1999 की तारिख दिखाई पड़ेगी. फोन मे गलत तारिख आने से GPS डिवाइसेज आउट ऑफ सिंक हो जाएंगी यह कितना अजीब होगा. सोचिए अगर कार चलाते समय आपका GPS बताए की आप प्रशांत महासागर के मध्य में हैं तो कैसा लगेगा. लेकिन इस समय बनाई जा रही सेटेलाइट मे यह टाइम फ्रेम को रोलओवर होने मे लगभग 157 साल का समय लगेगा.

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