इंजीनियरिंग छात्रों की बढ़ती बेरोजगारी-छात्रों को लेकर हुआ ये खुलासा

जैसा की आप भी जाते ही है की आज के इस दौर में बहुत से छात्रों को पढाई करने के बाद नौकरी के लिए यहां -वहां भटकना पड रहा है. और इसके बाबजूद भी उन्हें नौकरी नहीं मिल पा रही है. इसी के चलते हम बात इंजीनिरिंग के छात्रों की करें तो देश में हर साल लगभग 8 लाख छात्र इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट होते हैं. पर उनमें सिर्फ 40 % को ही नौकरी मिल पाती है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार द्वारा जारी एक रिपोर्ट में इंजीनियरिंग के छात्रों को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं.

All India Council for Technical Education के अनुसार देश के अलग-अलग टेक्न‍िकल इंस्टीट्यूट से इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट हो चुके छात्रों में 60 फीसदी बेरोजगार हैं. 

यही नहीं, सिर्फ 1 प्रतिशत इंजीनियरिंग के छात्र ही समर इंटर्नशिप में हिस्सा लेते हैं और 3200 संस्थानों में जिस इंजीनियरिंग प्रोग्राम्स की पढ़ाई होती है, उसमें सिर्फ 15 प्रतिशत ही नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रीडेशन (NBA) से मान्यता प्राप्त हैं. 

इसलिए इन डिग्र‍ियों के साथ छात्रों का नौकरी पाना मुश्क‍िल हो जाता है. ऐसे में मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत के तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव की तैयारी करने में जुटा है. 

इस रणनीति के तहत ही अब तकनीकी संस्थानों के लिए जनवरी 2018 से सिंगल नेशनल एंट्रेंस एग्जामिनेशन की व्यवस्था की जा रही है. इसके अलावा एनुअल टीचर ट्रेनिंग, छात्रों के लिए इंडक्शन ट्रेनिंग और वार्ष‍िक स्तर पर करीकुलम के रिवीजन जैसे कई कदम उठाए जा रहे हैं.

बताया जा रहा है की आने वाले समय में इस क्षेत्र में एक बड़े सुधार की सम्भावना है जिससे लोगों को उनकी पढाई के अनुरूप एक बेहतर रोजगार प्राप्त होगा.

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