अहमदाबाद: गुजरात उच्च न्यायालय ने बूचड़खाने को लेकर अदालत पहुँचे मुस्लिम समुदाय के लोगों को लताड़ लगाते हुए कहा कि क्या वे एक-दो दिन बिना माँस के जीवित नहीं रह सकते? दरअसल, जैन समुदाय के पवित्र पर्युषण पर्व को देखते हुए अहमदाबाद नगर निगम ने (AMC) ने बूचड़खाने को बंद रखने का आदेश दिया था। AMC के आदेश के बाद ‘कुल हिंद जमीयत-अल कुरैश एक्शन कमिटी’ ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर करते हुए निगम के आदेश को चुनौती दी थी। कमिटी की तरफ से दानिश कुरैशी रजावाला और एक अन्य शख्स द्वारा दाखिल की गई याचिका में कहा कि यह बूचड़खाना अहमदाबाद का एकमात्र बूचड़खाना है और पर्व पर इसे खुला या बंद रखने से कोई फर्क नहीं पड़ता। याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के जस्टिस संदीप भट्ट की एकल पीठ ने कहा कि, 'आप लोग एन वक्त पर भागे चले आ रहे हैं? हम इस पर विचार नहीं करेंगे। जब भी बैन लगाया जाता है, तो आप लोग भागे-भागे अदालत आ जाते हैं। आप लोग एक-दो दिन माँस खाने से अपने आप को रोक सकते हैं।' वहीं, याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि अहमदाबाद नगर निगम (AMC) की स्थायी समिति ने 18 अगस्त को पारित एक प्रस्ताव में जैन समुदाय के पर्युषण पर्व के दौरान बूचड़खाने को बंद रखने का आदेश दिया है। मदरसों का सर्वे कराने पर भी ओवैसी को आपत्ति, फिर दिया मुस्लिमों को भड़काने वाला बयान मुस्लिमों ने 50 महादलित परिवारों का आशियाना उजाड़ा, झाँकने तक नहीं आया कोई दलित नेता ! गणेश चतुर्थी पर पियूष गोयल के घर पहुंचे पीएम मोदी, उतारी गणपति बप्पा की आरती