नई दिल्ली: 2002 में गुजरात दंगे को लेकर दिवंगत कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी द्वारा शीर्ष अदालत में दायर की गई याचिका की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ कांग्रेस नेता और वकील कपिल सिब्बल भावुक हो गए। बता दें कि यह याचिका गुजरात दंगे की जांच करने वाली SIT की क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ दाखिल की गई है। जिसमें गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी और अन्य उच्च अधिकारियों को क्लीन चिट दी गई थी। जाकिया जाफरी की ओर से शीर्ष अदालत में दलील देते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल देश के बंटवारे को याद कर भावुक हो गए। उन्होंने कहा बंटवारे के दौरान मैंने भी पाकिस्तान में स्वजनों को खोया है। मैं किसी A या B पर इल्जाम नहीं लगाना चाहता। बस दुनिया में एक संदेश जाना चाहिए कि हिंसा की इस प्रकार की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। कोर्ट में कपिल सिबब्ल ने कहा कि साम्प्रदायिक हिंसा ज्वालामुखी से फूटने वाले लावा की तरह है, जो आने वाले समय में बदला लेने की उपजाऊ जमीन तैयार करता है। मेरी चिंता वास्तव में भविष्य के लिए है। सिब्बल ने कहा कि सांप्रदायिक हिंसा ज्वालामुखी से निकलने वाले लावे की तरह है, चाहे वह किसी भी समुदाय द्वारा हो। यह संस्थागत हिंसा है। बता दें कि जाफरी ने पांच अक्टूबर, 2017 के गुजरात उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें अहमदाबाद मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा SIT की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करने के फैसले को जायज ठहराया गया था। SIT ने इस मामले में गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी और 63 अन्य को क्लीनचिट दे दी थी। भारत आज करेगा क्षेत्रीय एनएसए की मेजबानी, आठ देशों के शामिल होने की उम्मीद कच्चे तेल के दामों में आया भारी उछाल, जानिए पेट्रोल-डीजल का भाव इस दिन होगा महिला फुटबॉल टीम का ब्राज़ील, चिली और वेनेज़ुएला से मुकाबला