मुंबई: कुछ समय पहले ही मानव और गुलदारों के बीच संघर्ष को कम से कम करने के लिए महाराष्ट्र गई प्रदेश के वन अधिकारियों की टीम ने माना है कि इस संघर्ष को कम करने के लिए नजरिए में बदलाव जरूरी है. गुलदारों को क्षेत्र से दूर करने या अन्य तरीके अपनाने से बेहतर है कि लोगों को बताया जाए कि वे किस तरह से इस नुकसान को कम कर सकते हैं. इसे अधिकारियों ने वाइल्ड लाइफ मैनेजमेंट की जगह ह्यूमन मैनेजमेंट कहा है. महाराष्ट्र में संजय गांधी नेशनल पार्क के अधिकारियों को गुलदार और मानव संघर्ष के कई मामलों का सामना करना पड़ा था. वहीं एक रिपोर्ट में यह पता चला है कि रणनीति के तहत काम करते हुए पार्क प्रशासन ने इस समस्या पर काबू पाया. उत्तराखंड से प्रभागीय वन अधिकारियों सहित 20 अधिकारियों की टीम ने इस नेशनल पार्क का भ्रमण किया. दल ने महाराष्ट्र से लौटक र अब अपनी रिपोर्ट मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक को सौंप दी है. समस्या की सही पहचान जरूरी: रिपोर्ट के मुताबिक संजय पार्क प्रशासन ने लोगों को जागरूक किया, सभी संबंधित पक्षों को साथ में लिया, वन कर्मियों को जरूरी उपकरण उपलब्ध कराए. टीम ने माना कि उत्तराखंड और महाराष्ट्र में विभिन्नता है, लेकिन फिर भी मूल समस्या एक ही है. ये दिए सुझाव: 1. समस्या की सही पहचान जरूरी: वन्यजीव किन क्षेत्रों में अधिक सक्रिय हैं, वे वन क्षेत्र से बाहर क्यों निकल रहे हैं? 2. वरिष्ठ और अनुभवी अधिकारियों को नेतृत्व करना चाहिए और रणनीति बनानी चाहिए. एक बार रणनीति बन जाए तो इसको उपयोग में लाना चाहिए. 3. विभागीय टीम को मजबूत किया जाना चाहिए. रेस्क्यू केंद्र, उपकरण और अन्य संसाधन पर्याप्त हों. 4. वन्य जीव प्रबंधन की जगह मानव प्रबंधन पर फोकस हो. मसलन लोगों को बताया जाए कि निवास स्थान पर पर्याप्त रोशनी हो, गुलदार के वास स्थल से दूरी बनाकर रखें आदि. 5. मूलभूत शोध भी जरूरी है. मसलन क्या वन में किसी खास वन्यजीव के लिए भोजन की कमी हो गई है. भोपाल क्राइम ब्रांच को बड़ी सफलता, किया नकली दूध के गोरखधंधे का भंडाफोड़ हाथ में तिरंगा लेकर पैदल खरगोन से दिल्ली चला रिटायर्ड पुलिसकर्मी, ये है मांग ग्वालियर कलेक्टर का अनोखा फरमान, अगर चाहिए बन्दूक का लाइसेंस, तो करना होगा ये काम