गुरु पूर्णिमा पर लोग अपने-अपने गुरुओं का सम्मान करते हैं और इसी के साथ उन्हें कुछ ना कुछ उपहार भी देते हैं। वहीं दूसरी तरफ गुरु अपने शिष्यों को आशीर्वाद देते हैं। जी दरअसल यह परंपरा सदियों पुरानी है, हालाँकि समय के साथ इसमें कुछ परिवर्तन जरूर आया है। आप सभी को बता दें कि आज भी कई लोग भगवान को गुरु मानकर उनकी पूजा करते हैं।जी दरअसल यह पर्व मुख्य रूप से महर्षि वेदव्यास (Maharishi Ved Vyas) की स्मृति में मनाया जाता है और इस साल यह 13 जुलाई को मनाया जाने वाला है। आपको यह भी बता दें कि इस बार गुरु पूर्णिमा पर कई शुभ योग एक साथ बन रहे हैं, जिसके चलते इसका महत्व और भी बढ़ गया है। जी दरअसल द्वापर युग में इसी तिथि अनेक ग्रंथों की रचना करने वाले महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था, उन्होंने पुराणों की रचना की एवं वेदों का विभाजन भी किया, तभी से उनके सम्मान में आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। केवल यही नहीं बल्कि इस बार मंगल, बुध, गुरु और शनि की स्थिति चार राजयोग का निर्माण कर रही है इसके अतिरिक्त भी बुधादित्य आदि कई शुभ योग बन रहे हैं। चार राजयोग में रुचक, भद्र, हंस, और शश राजयोग के साथ बुधादित्य योग में गुरु पूर्णिमा का पर्व इस बार मनाया जाएगा। जी हाँ और अगर आपका कोई धार्मिक या आध्यामित्क गुरु न हो तो आप देवगुरु बृहस्पति यानी गुरु ग्रह की पूजा भी कर सकते हैं। जिन लोगों की कुंडली में गुरु ग्रह प्रतिकूल स्थिति में ना हो तो उन्हें गुरु ग्रह की पूजा विशेष रूप से करनी चाहिए। इसके अलावा जिन लोगों के विवाह में परेशानियां आ रही हो या बार-बार बात बनते-बनते बिगड़ जाती है वह अगर गुरु पूर्णिमा पर गुरु ग्रह से संबंधित उपाय करें तो उनके विवाह के योग जल्दी ही बन सकते हैं। गुरु पूर्णिमा: कौरव-पांडवों के गुरु थे द्रोणाचार्य, जानिए उनकी जन्म कथा भगवान शिव को भी माँ अन्नपूर्णा ने दिया था दान, जानिए रोचक कहानी इस मजार पर रूकती है जगन्नाथ रथयात्रा!, बड़ी अनोखी है इसकी कहानी