रविदास जयंती : समाज को एकजुट करने का सन्देश देने वाले संत रविदास जी

कबीर के समकालीन संत रविदास जी का जन्म माघी पूर्णिमा के दिन वाराणसी के सीर गोवर्धन में एक चर्मकार परिवार में हुआ था. इस साल रविदास जी की 641 वीं जयंती मनाई जा रही है. इस पावन पर्व पर सभी श्रद्धालु नगर कीर्तन करते है और सुबह किसी पवित्र नदी या जलस्त्रोत में स्नान करते है. सभी मंदिर और गुरुद्वारों में इस दिन विशेष साज-सज्जा और पूजा अर्चना की जाती है. रविदास जी के जन्मस्थल सीरगोवर्धन में एक मंदिर का निर्माण भी किया गया है. और इस समय यहाँ तीन दिवसीय मेला आयोजित किया जाता है जिसमे दुनियाभर के श्रद्धालु आते है.

रविदास जी ने उत्तर भारत में भक्त आंदोलन का नेतृत्व भी किया था. रविदास जी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज और देश के लोगो को धार्मिक और सामाजिक सन्देश दिया है. रविदास जी का ताल्लुक एक चर्मकार परिवार से है जिसे समाज में नीच माना जाता है. इस जाति के साथ भेदभाव भी किया जाता है. रविदास जी ने इसे कम करने की कई बार कोशिश भी की है. निर्गुण सम्प्रदाय के लोग रविदास जी को एक महान संत मानते है. उनके लिए कई ऐसी कहावते भी कही जाती है कि - भगवान ने धर्म की रक्षा करने के लिए रविदास को धरती पर भेजा था.

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