'9 साल शादीशुदा मर्द के साथ बनाएं शारीरिक-संबंध', फिर कर दिया रेप का केस और...

नई दिल्ली: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि कोई महिला लंबे वक़्त तक किसी पुरुष के साथ सहमति से संबंध रखती है, तो बाद में वह उस पर रेप का आरोप नहीं लगा सकती। साथ ही यह भी नहीं कह सकती कि इतने वर्षों तक शादी का झूठा वादा करके उसके साथ दुष्कर्म किया गया।

यह टिप्पणी जस्टिस बी. वी. नागरत्ना एवं जस्टिस एन. कोटेश्वर सिंह की पीठ ने उस मामले की सुनवाई के चलते की, जिसमें एक महिला ने 9 वर्षों तक एक पुरुष के साथ संबंध बनाए थे तथा बाद में आरोप लगाया कि शादी का झूठा वादा करके उसका शोषण किया गया। अदालत ने महिला की 7 वर्ष पुरानी FIR को रद्द करते हुए इसे चिंताजनक प्रवृत्ति बताया। कोर्ट ने कहा कि लंबे वक़्त तक चलने वाले रिश्ते में खटास आने के पश्चात् उसे अपराध का रूप देना अनुचित है। अदालत ने यह भी कहा कि झूठे वादे के आधार पर दर्ज की गई शिकायतों पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए, न कि उन मामलों में जहां वर्षों तक सहमति से संबंध बनाए गए हों। यह मामला मुंबई के शादीशुदा महेश दामू खरे और विधवा वनिता एस. जाधव से जुड़ा है। 

रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों के बीच अफेयर 2008 में शुरू हुआ। लेकिन 2017 में महिला ने शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि महेश ने उससे शादी का वादा किया था, जिसके आधार पर दोनों ने शारीरिक संबंध बनाए। लंबी सुनवाई के पश्चात् सर्वोच्च न्यायालय ने वनिता की FIR खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि अगर एक महिला जानबूझकर लंबे समय तक संबंध बनाए रखती है, तो इसे यह नहीं माना जा सकता कि वह सिर्फ शादी के वादे के कारण ऐसा कर रही थी। महिला ने आरोप लगाया था कि महेश ने शादी का झूठा वादा करके उसके साथ संबंध बनाए। हालांकि, कोर्ट ने पाया कि लगभग 9 सालों तक चले इस रिश्ते में कोई स्पष्ट संकेत नहीं था कि महेश ने वास्तव में शादी का वादा किया था। इसके विपरीत, महिला द्वारा लगातार सहमति से संबंध बनाए रखना यह दिखाता है कि यह रिश्ता आपसी सहमति पर आधारित था।

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