मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश के रेती मुहल्ले में हाजी नसीम इंसानियत का पैगाम लिए सालों से प्यार, अमन और चैन बांटने में लगे हुए हैं। नसीम 80 साल के हैं और एक छोटा सा दवाखाना चलाते हैं। दवाखाने के एक ओर छोटी मस्जिद है तो दूसरी तरफ प्राचीन शिव मंदिर। दवाखाने से सटे हुए दोनों धार्मिक स्थलों के लिए हाजी साहब की श्रद्धा एक सी है। Yahoo पर सबसे ज्यादा बार सर्च किये गए पीएम मोदी, तैमूर ने दी कड़ी टक्कर यहां बता दें कि इसी अपनेपन को देखते हुए मुहल्ले के लोगों ने दोनों धार्मिक स्थलों की चाभी भी हकीम साहब को ही दे रखी है। 20 साल से मंदिर और मस्जिद के रखरखाव से लेकर धार्मिक आयोजनों में भी हकीम नसीम पूरी श्रद्धा के साथ जुटते हैं। मंदिर को खोलने से लेकर उसकी सुरक्षा तक के बंदोबस्त भी वे खुद ही तय करते हैं। ISRO ने लॉन्च की सबसे वजनी सैटेलाइट, इंटरनेट स्पीड में आएगा उछाल वहीं नसीम बताते हैं कि चाभी मेरे पास ही रहती है, यह सभी जानते हैं। इनकी देखरेख की जिम्मेदारी भी मेरी ही है। मुहल्ले में ही रहने वाले गोल्डी दीक्षित, सुधीर कुमार और हाजी मुहम्मद कैसर बताते हैं कि यह मंदिर काफी पुराना है और जर्जर हो चुका था। ऐसे में हाजी नसीम ने इस मंदिर के जीर्णोधार में भी काफी मदद करके इसे ठीक कराया। खबरें और भी अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला: डील के बिचोलिये मिशेल को दुबई से प्रत्यर्पित करके भारत लाई रॉ भारत को जलवायु परिवर्तन से हो रहा सबसे ज्यादा नुकसान बुलन्दशहर हिंसा: कानून व्यवस्था पर मंथन करने के लिए योगी ने बुलाई आपात बैठक