आप सभी जानते ही होंगे बाल हनुमान का जन्म चैत्र माह की पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र और मेष लग्न के योग में हुआ था। जी हाँ और इस साल आज हनुमान जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। आप सभी जानते ही होंगे वह बाल ब्रह्मचारी और रामभक्त रहे हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि वह अविवाहित थे? जी हाँ और आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे हैं। कहा जाता है हनुमान जी के 3 विवाह भी हुए थे। लेकिन इन तीनों की परिस्थितियाँ और काल बेहद रोचक रहे हैं। जी दरअसल पहली पौराणिक कथा के अनुसार, 'पराशर संहिता में भगवान सूर्य की पुत्री सुर्वचला और हनुमान जी के विवाह का प्रसंग है। रुद्रावतार भगवान हनुमान ने सूर्य देवता को अपना गुरु बनाया था और उन्होंने सूर्य देव से 9 विद्याओं में पारंगत होने का निश्चय किया था। सूर्यदेव चाहते थे कि वो हनुमान को 9 विद्याओं का ज्ञान दें। इनमें से 5 विद्याएँ तो हनुमान जी ने सीख ली थीं। बाकी की 4 विद्याओं के लिए उनका विवाहित होना अनिवार्य था। ऐसी स्थिति को देखते हुए सूर्यदेव ने अपनी पुत्री का विवाह हनुमान जी के साथ संपन्न करा दिया। लेकिन विवाह के बाद सुर्वचला सदा के लिए तपस्या में लीन हो गईं। इसके साथ ही हनुमान जी भी अपनी बाकी चार विद्याओं के ज्ञान को प्राप्त करने में लग गए। इस प्रकार विवाहित होने के बाद भी भगवान हनुमान का ब्रह्मचर्य व्रत नहीं टूटा।' वहीं दूसरी कथा के अनुसार- 'रावण और वरूण देव के बीच युद्ध के समय वरूण देव की ओर से वानरराज हनुमान रावण से लड़े और उसके सभी पुत्रों को बंधक बना लिया। ऐसी मान्यता है कि युद्ध में हार के बाद रावण ने अपनी पुत्री अनंगकुसुमा का विवाह हनुमान जी से कर दिया था। इस प्रसंग का उल्लेख पउम चरित शास्त्र में मिलता है। इस प्रसंग में सीता-हरण के संदर्भ में एक घटना का जिक्र है, अनंगकुसुमा के मूर्च्छित होने की बात है। हुआ यूँ कि जब खर-दूषण वध का समाचार लेकर राक्षस-दूत हनुमान की सभा में पहुँचा तो अंत:पुर में शोक छा गया और अनंगकुसुमा मूर्च्छित हो गईं। अनंगकुसुमा इसलिए मूर्च्छित हो गईं क्योंकि यह दुःखद समाचार उनके परिजनों की मृत्यु का था।' तीसरी कथा के अनुसार- रावण और वरुण देव के बीच हुए युद्ध में हनुमान जी ने ही प्रतिनिधि के तौर पर लड़कर वरुण देव को अंतिम विजय दिलाई थी। इससे प्रसन्न होकर वरूण देव ने हनुमान जी का विवाह पुत्री सत्यवती से कर दिया था। हालाँकि शास्त्रों में भले ही बजरंगबली के इन विवाहों का उल्लेख है, लेकिन ये तीनों विवाह विशेष परिस्थितियों में ही हुए थे। जी हाँ और ऐसा कहा जाता है कि भगवान हनुमान ने कभी भी अपनी पत्नियों के साथ वैवाहिक संबंधों का निर्वाह नहीं किया। इसी के चलते वह आजीवन ब्रह्मचारी ही रहे हैं। श्री हनुमान को खुश करने के लिए पढ़े यह आरती और मंत्र हनुमान जी के पूजन में भूल से भी न करें ये गलतियां वरना बुरा होगा अंजाम आज इस रंग के कपड़े में बांधकर तिजोरी में रख दें 11 कौड़ियां, बन जाएंगे करोड़पति