ग्वालियर राजघराने में महाराज जीवाजी राव और माता विजयाराजे सिंधिया के महल में 10 मार्च 1945 को एक तेजस्वी बालक का जन्म हुआ, जिसे आज दुनिया माधव राव सिंधिया के नाम से जानती है, जो आगे चल कर भारतीय राजनीति में एक बड़ा नाम साबित हुए. शानदार व्यक्तित्व, चेहरे पर राजे रजवाड़ो का तेज, कुशल राजनीतिज्ञ, मृदुभाषी, कोमल हृदय, सरल स्वभाव और बेमिसाल नेतृत्व क्षमता के धनि महाराज माधवराव सिंधिया का आज जन्म दिवस है. माधवराव की स्कूली शिक्षा, अपने ही खानदान द्वारा बनाये गए सिंधिया स्कूल से हुई. उसके बाद माधवराव सिंधिया ने ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से अपनी शिक्षा प्राप्त की. माधवराव सिंधिया का विवाह माधवीराजे सिंधिया से हुआ था. माधवराव सिंधिया के पुत्र ज्योतिरादित्य व पुत्री चित्रांगदा राजे हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया फ़िलहाल राजनीति में सक्रिय हैं. माधव राव सिर्फ राजनीति ही नहीं क्रिकेट, गोल्फ, घुड़सवारी जैसे खेलों के भी शौक़ीन थे. अगर राजनीति की बात करें तो मध्यप्रदेश के चुनिंदा राष्ट्रीय राजनीतिज्ञों में माधवराव का नाम काफ़ी ऊपर है. 1971 में विजयाराजे सिंधिया के पुत्र माधवराव सिंधिया ने अपनी माँ की छत्रछाया में राजनीति का पाठ पढ़ना शुरू किया और तब उन्होंने पहला चुनाव जनसंघ से लड़ा. 1971 के इस चुनाव में माधवराव सिंधिया ने कांग्रेस के डी. के. जाधव को एक लाख 41 हज़ार 90 मतों से पराजित किया. 1977 में सिंधिया स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे और उन्होंने बारह कोणीय संघर्ष में लोकदल के जी. एस. ढिल्लन को 76 हज़ार 451 मतों से पराजित किया. इसके बाद माधवराव ने कांग्रेस का दामन थामा और तब जनता पार्टी के प्रत्याशी नरेश जौहरी को एक लाख से अधिक मतों से शिकस्त दी. 1984 के ग्वालियर आम चुनाव में उन्होंने बीजेपी के दिग्गज नेता अटलबिहारी वाजपेयी को हराकर राजनीति में अपना लोहा मनवा लिया था. इसके बाद 1998 तक सिंधिया ने अपने सभी चुनाव ग्वालियर से लड़े और सबमें एकतरफा जीत हासिल की. 30 सितंबर 2001 को माधवराव सिंधिया अपनी जिंदगी की जंग हार गए और एक विमान दुर्घटना में उनकी आकस्मिक मौत हो गई. आतंकियों का अगला निशाना कश्मीरी महिलाएं आतंकी गुट इंडियन मुजाहिद्दीन के निशाने पर पीएम नरेंद्र मोदी राजस्थान की मुख्यमंत्री को जन्मदिन की बधाई