मदर्स डे पर स्पेशल कविताएं

बाजुओं में खींच के आ जायेगी जैसे क़ायनात अपने बच्चे के लिए ऐसे बाहें फैलाती है माँ…

ज़िन्दगी के सफ़र मै गर्दिशों में धुप में जब कोई साया नहीं मिलता तब बहुत याद आती है माँ..

प्यार कहते हैं किसे, और ममता क्या चीज़ है, कोई उन बच्चों से पूछे जिनकी मर जाती है माँ…

सफा-ए- हस्ती पे लिखती है, असूल-ए- ज़िन्दगी इसलिए तो मक़सद-ए- इस्लाम कहलाती है माँ..

जब ज़िगर परदेस जाता है ए नूर-ए- नज़र, कुरान लेकर सर पे आ जाती है माँ..

लेके ज़मानत में रज़ा-ए- पाक की,

पीछे पीछे सर झुकाए दूर तक जाती है माँ…

काँपती आवाज़ में कहती है बेटा अलविदा… सामने जब तक रहे हाथों को लहराती है माँ..

जब परेशानी में फँस जाते हैं हम परदेस में, आंसुओं को पोंछने ख्वाबों में आ जाती है माँ..

मरते दम तक आ सका न बच्चा घर परदेस से, अपनी सारी दुआएं चौखट पे छोड़ जाती है माँ..

बाद मरने के बेटे की खिदमत के लिए, रूप बेटी का बदल के घर में आ जाती है माँ….I LOVE YOU माँ…

 

 

घुटनों से रेंगते-रेंगते, कब पैरों पर खड़ा हुआ, तेरी ममता की छाँव में, जाने कब बड़ा हुआ.. काला टीका दूध मलाई आज भी सब कुछ वैसा है, मैं ही मैं हूँ हर जगह, माँ प्यार ये तेरा कैसा है? सीधा-साधा, भोला-भाला, मैं ही सबसे अच्छा हूँ, कितना भी हो जाऊ बड़ा,

“माँ!” मैं आज भी तेरा बच्चा हूँ..

बेटी के जन्म के बाद मदर्स डे की खास प्लानिंग कर रही हैं क्लोई कार्दशियां

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