आप सभी जानते ही होंगे कि निर्माण के देवता भगवान विश्वकर्मा की पूजा आज हो रही है. ऐसे में आश्विनी नक्षत्र एवं ध्रुव योग के युग्म संयोग में पूजा की गई तो सफल होगी. वहीं आप सभी को बता दें कि भगवान विश्वकर्मा को निर्माण का देवता माना जाता है और आज विश्वकर्मा जयंती है. वैसे विश्वकर्मा पूजा का कारोबारियों के लिए विशेष महत्व होता हैं इसी के साथ हर साल कन्या संक्रांति के दिन विश्वकर्मा पूजा की जाती हैं. कहा जाता है शास्त्रों में ऐसा भी माना जाता हैं कि विश्वकर्मा जयंती पर भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से व्यापार और कारोबार में वृद्धि होती हैं. ऐसे में आज हम लेकर आए हैं विश्वकर्मा जयंती पर उनकी आरती. आइए जानते हैं. विश्वकर्मा जी की आरती: ॐ जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा. सकल सृष्टि के कर्ता, रक्षक श्रुति धर्मा॥ ॐ य श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा. आदि सृष्टि में विधि को श्रुति उपदेश दिया. जीव मात्रा का जग में, ज्ञान विकास किया॥ ॐ जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा. ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नहीं पाई. ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥ ॐ जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा. रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना. संकट मोचन बनकर, दूर दु:ख कीना॥ ॐ जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा. जब रथकार दंपति, तुम्हरी टेर करी. सुनकर दीन प्रार्थना, विपत हरी सगरी॥ ॐ जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा. एकानन चतुरानन, पंचानन राजे. त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज, सकल रूप सजे॥ ॐ जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा. ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे. मन दुविधा मिट जावे, अटल शक्ति पावे॥ ॐ जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा. श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे. कहत गजानंद स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥ ॐ जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा. 17 सितंबर को है विश्वकर्मा जयंती, जानिए उनकी जन्मकथा