सभी तीजों में हरतालिका तीज का महत्वपूर्ण और विशेष स्थान है. हरतालिका तीज महिलाओं के लिए काफी ख़ास होती है. इस तीज का महिलाएं बेसब्री के साथ इंतज़ार करती है. पति-पत्नी के अटूट प्रेम को यह त्यौहार दर्शाता है. साथ ही यह त्यौहार एक-दूसरे के प्रति विश्वास भी बनाए रखता है. माता पार्वती और भगवान शिव को यह त्यौहार पूर्णतः समर्पित है. हरतालिका तीज का महत्व (Hartalika Teej Importance) हिंदू धर्म में इस व्रत और इस त्यौहार का विशेष महत्व है. भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला यह त्यौहार सभी तीजों में महत्वपूर्ण है. जितनी भी तीज आती है, उनमें इस तीज का स्थान सबसे ऊपर है. आपको बता दें कि हरतालिका तीज से ठीक पहले कजरी तीज और इससे ठीक पहले हरियाली तीज आती है, हालांकि हरतालिका तीज का इन सबमें विशेष महत्व है. आपको बता दें कि हरतालिका तीज का व्रत भी कजरी और हरियाली तीज व्रत की तरह ही सुहागन महिलाएं और कुंवारी लड़कियां रखती है. इस व्रत में महिलाएं और लड़कियां जल ग्रहण नहीं कर सकती है. बता दें कि महिलाएं इस दौरान भगवान गणेश, माता पार्वती और भगवान शिव की मिट्टी की प्रतिमांए बनाती है और फिर इनका विधिवत रूप से पूजन किया जाता है. अंत में कथा सुनकर या पढ़कर शिव परिवार की आरती की जाती है. शास्त्रों में इस बात का उल्लेख है कि इस व्रत से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. यह व्रत कठोर व्रत में से एक माना जाता है. यदि कोई महिला या लड़की यह व्रत रखती है या रखना चाहती है तो उन्हें सबसे पहले सुबह स्नान आदि के बाद "उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये" मंत्र का उच्‍चारण करना चाहिए और इसी के साथ उन्हें व्रत का संकल्प लेना चाहिए. संकल्प के बिना कोई भी व्रत नहीं रखना चाहिए. हरतालिका तीज : इस विधि के साथ करें पूजन, पूरा शिव परिवार होगा प्रसन्न हरतालिका तीज : कब मनाया जाता है यह त्यौहार, जानिए कैसे पड़ा इस व्रत का नाम ?