हिंदू धर्म में सालभर में कई तरह के व्रत और त्यौहार आते हैं, भादो का माह भी त्यौहारों का माह है. इस माह में जन्माष्टमी, ऋषि पंचमी और गणेश चतुर्थी जैसे त्यौहार आने के साथ ही भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज का त्यौहार भी आता है और इस दिन कुंवारी कन्याएं एवं सुहागन महिलाएं व्रत रखती है. जिस तरह हर व्रत के बाद उस व्रत से संबंधित कथा सुनी या पढ़ी जाती है, ठीक ऐसा ही हरतालिका तीज के व्रत में भी होता है. आइए जानते हैं हरतालिका तीज व्रत से जुड़ीं पौराणिक कथा. हरतालिका तीज व्रत से जुड़ीं पौराणिक कथा... हरतालिका तीज व्रत की पौराणिक कथा माता पार्वती और शिव जी से जुड़ीं हुई है. हरतालिका तीज शब्द हरत और आलिका से मिलकर बना है. हरत का अर्थ हरण या अपहरण करना और आलिका शब्द का अर्थ सखी या सहेली होता है. जब माता पार्वती के पिता उनका विवाह विष्णु जी से कराना चाह रहे थे, उस समय माता पार्वती का हरण कर उनकी सखियां उन्हें जंगल में ले गई थी, क्योंकि माता पार्वती शिव भक्त थी और वे शिव जी को पति रूप में पाना चाहती थी. माता पार्वती ने इसके बाद जंगल में रहकर शिव जी की भक्ति की और उन्हें पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया. माता पार्वती ने इस दौरान रेत से शिवलिंग का भी निर्माण किया. माता पार्वती की भक्ति देखकर शिव जी प्रसन्न हो गए और माता को उन्होंने पत्नी रूप में स्वीकार किया. बता दें कि माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को अपने 108वें जन्म में पाया था. हरतालिका तीज व्रत का महत्व... हरतालिका तीज के व्रत का महत्व यह है कि इस व्रत को कुंवारी कन्याएं सुयोग्य वर पाने के लिए और सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती है. कथा में भी आपने यह व्रत पढ़ा या सुना होगा कि भगवान शिव को पाने के लिए माता पार्वती ने बेहद कठोर तपस्या की थी. हरतालिका तीज : हरतालिका तीज पर आ जाए मासिक धर्म तो इस तरह रखें व्रत हरतालिका तीज : आसान नहीं है यह व्रत, महिलाएं जरूर जान लें ये नियम हरतालिका तीज : हरतालिका तीज पर आ जाए मासिक धर्म तो इस तरह रखें व्रत हरतालिका तीज : आसान नहीं है यह व्रत, महिलाएं जरूर जान लें ये नियम