क्या केरल अलग राष्ट्र बन गया ? विजयन सरकार ने की अपने अलग विदेश सचिव की नियुक्ति ! तो भाजपा ने दागा सवाल

कोच्ची: केरल भाजपा इकाई के अध्यक्ष के सुरेन्द्रन ने IAS अधिकारी के. वासुकी को राज्य में विदेश सचिव नियुक्त करने के लिए पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली केरल सरकार की आलोचना की है। उन्होंने दावा किया है कि यह संविधान का एक "घोर अतिक्रमण" है और संविधान की संघ सूची का उल्लंघन है।

सुरेंद्रन ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि, "केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन द्वारा एक आईएएस अधिकारी को 'विदेश सचिव' के रूप में नियुक्त करना हमारे संविधान की संघीय सूची का घोर उल्लंघन और अतिक्रमण है।" इस कदम को ‘असंवैधानिक’ करार देते हुए भाजपा नेता ने पुछा कि क्या विजयन केरल को ‘अलग राष्ट्र’ के रूप में स्थापित करना चाहते हैं ? दरअसल, विदेश मंत्रालय केवल केंद्र सरकार के अधीन  आता है, किसी भी राज्य सरकार के पास अलग से विदेश मंत्रालय नहीं होता, तो विदेश मंत्री या फिर विदेश सचित्व का सवाल ही नहीं उठता है।  

यही तर्क देते हुए सुरेंद्रन ने पुछा कि, "LDF सरकार के पास विदेशी मामलों में कोई अधिकार नहीं है। यह असंवैधानिक कदम एक खतरनाक मिसाल कायम करता है। क्या सीएम पिनरई विजयन केरलम को एक अलग राष्ट्र के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं?"  हालांकि, केरल सरकार ने श्रम एवं कौशल विभाग के सचिव के वासुकी को बाह्य सहयोग से जुड़े मामलों का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है। संयुक्त सचिव मणिकांतन आर द्वारा हस्ताक्षरित 15 जुलाई के सरकारी आदेश में कहा गया है कि "डॉ. के. वासुकी आईएएस (केएल 2008), सचिव, श्रम एवं कौशल विभाग, बाह्य सहयोग से जुड़े मामलों का अतिरिक्त प्रभार संभालेंगे। अधिकारी मौजूदा प्रभारों के अलावा इस संबंध में सभी मामलों और उससे संबंधित मामलों का समन्वय और पर्यवेक्षण करेंगे।"

आदेश में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी स्थित केरल हाउस के रेजिडेंट कमिश्नर, विदेशी सहयोग से संबंधित मामलों में वासुकी को सहयोग प्रदान करेंगे तथा विदेश मंत्रालय, मिशनों और दूतावासों के साथ संपर्क बनाए रखेंगे। आदेश में कहा गया है, "सामान्य प्रशासन (राजनीतिक) विभाग बाहरी सहयोग से संबंधित विषयों से निपटेगा और वैकल्पिक व्यवस्था होने तक डॉ. के. वासुकी आईएएस की सहायता करेगा। केरल हाउस, नई दिल्ली के रेजिडेंट कमिश्नर बाहरी सहयोग के मामलों में अधिकारी की सहायता करेंगे, ताकि विदेश मंत्रालय, मिशन और दूतावासों आदि के साथ संपर्क स्थापित किया जा सके।"

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