पटना: बिहार विधानसभा में बृहस्पतिवार को जातिगत सर्वे और आरक्षण का दायरा बढ़ाने पर चर्चा हुई. इस के चलते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बीच तीखी बहस देखने को मिली. मुख्यमंत्री नीतीश ने यह तक कह दिया कि मांझी उनकी (नीतीश) मूर्खता से मुख्यमंत्री बने. बता दें कि चर्चा के चलते पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने कहा था कि हम नहीं मानते कि बिहार की जातिगत जनगणना सही हुई है. यदि आंकड़े गलत हैं तो सही लोगों तक लाभ नहीं पहुंचेगा. वही इस बीच नीतीश अचानक भड़क गए. उन्होंने कहा, 'इस आदमी (मांझी) को कोई आइडिया है. इसको हमने सीएम बना दिया था. दो महीने के अंदर ही मेरी पार्टी के लोग बोलने लगे इसको हटाइए. ये गड़बड़ है. फिर हम सीएम बने थे. कहता रहता है, ये मुख्यमंत्री था... ये क्या मुख्यमंत्री था. ये मेरी मूर्खता से सीएम बना.' आगे नीतीश ने कहा कि ये (मांझी) गवर्नर बनना चाहता है. तत्पश्चात, मुख्यमंत्री ने भाजपा के विधायकों की ओर संकेत करते हुए कहा- इसको राज्यपाल बना दीजिए. तत्पश्चात, मामला बिगड़ता देख सत्तापक्ष की ओर से कुछ विधायक और तेजस्वी यादव ने नीतीश को संभाला. बाद में विजय कुमार चौधरी ने नीतीश को रोका. आपको बता दें कि जीतन राम मांझी पहले नीतीश कुमार के करीबी नेताओं में से एक माने जाते थे. वर्ष 2014 में जब लोकसभा चुनाव में JDU को करारी हार मिली तो नीतीश ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर 9 मई, 2014 को अपने 'विश्वासपात्र' महादलित समाज के जीतनराम मांझी को ये पद सौंप दिया था. शुरुआत में मांझी को 'रिमोट कंट्रोल सीएम' बोला गया, मगर आहिस्ता-आहिस्ता मांझी स्वयं बड़े फैसले लेने लगे तथा नीतीश से उनकी दूरियां बढ़ने लगीं. आहिस्ता-आहिस्ता स्थिति जब बिगड़ी तो पार्टी ने मांझी को इस्तीफा देने के लिए कहा मगर वे मुकर गए. फिर उनको JDU से निकाल गया गया. इस प्रकार जीतनराम मांझी मई 2014 से फरवरी 2015 तक नौ महीने बिहार के मुख्यमंत्री रहे. बाद में एक इंटरव्यू में मांझी ने ये तक कह दिया था कि नीतीश ने नैतिकता का नाटक किया तथा अपनी खस्ता होती स्थिति से उबरने के लिए इस्तीफा दे दिया तथा मांझी को ढाल बनाया. इजराइल जाकर यहूदियों के बीच 'फटना' चाहता था आरिज हसनैन, झारखंड ATS ने 'इस्लामिक स्टेट' के दो आतंकियों को दबोचा हेयर कट करवाने गई हिंदू लड़की को केबिन में ले जाकर गंदी हरकतें करने लगा शाहरुख, पुलिस ने किया गिरफ्तार सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 65 फीसद आरक्षण, नितीश सरकार ने पारित किया प्रस्ताव