वर्ल्ड एड्स डे में जाने इससे जुडी कुछ मिथक बातो के बारे में ...

वर्ल्ड एड्स डे में , पूरी दुनिया में इस बीमारी को लेकर लोगों को जागरुक करने की कोशिश की जा रही है, यह 1 दिसंबर को मनाया जाता है।  लेकिन यकीन मानिए इस बीमारी को लेकर कई मिथकों पर लोग यकीन करते हैं। एड्स के मरीज़ों के साथ तो कई जगह पर ऐसा व्यवहार किया जाता है कि उन्हें अछूत मान लिया जाता है। एड्स जैसी बीमारी घातक होती है और लोगों के लिए जिंगदी भर का दुख बन जाती है। वर्ल्ड एड्स डे पर हम बात करते हैं ऐसे मिथकों की जिनपर किसी को यकीन नहीं करना चाहिए।  

HIV का मतलब आपको AIDS हो जाएगा: अक्सर ये मिथक लोगों के दिमाग में रहता है। AIDS काफी जानलेवा और खतरनाक है, लेकिन HIV के बाद भी लोग आम तरह से जिंदगी जी सकते हैं। HIV ऐसा इन्फेक्शन है जिससे AIDS होता है, लेकिन हर HIV मरीज को AIDS होगा ऐसा जरूरी नहीं है। किसी भी बीमारी का इलाज जल्दी किया जाए तो उसका असर शरीर पर कम हो जाता है ऐसे ही HIV इन्फेक्शन को ठीक तौर पर इलाज किया जाए तो इससे बचा जा सकता है। 

 

HIV छूने से फैलता है : इस मिथक को लेकर तो बाकायदा सरकार ने विज्ञापन बनाया है और बताया है कि ऐसा कुछ भी नहीं है। HIV न ही छूने से फैलता है, न ही आंसू, थूंक, पसीने या यूरीन के जरिए। तो अगर आप एक ही जैसा टॉयलेट इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें छू रहे हैं, एक ही जगह से पानी ले रहे हैं, एक ही बर्तन में खाना खा रहे हैं तब भी HIV नहीं फैलेगा। सबसे ज्यादा दिक्कत खून से होती है।  

 HIVहै तो वो कुछ ही दिनों में मर जाएगा : यकीन मानिए ऐसा कई लोग मानते हैं।एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में 36.7 मिलियन लोग HIV के साथ जी रहे हैं और इस वायरस से रोज़ाना लड़ रहे हैं। अगर किसी के शरीर में HIV वायरस एक्टिव हो गया है तो मुमकिन है कि उसे सही दवाओं के साथ खुशहाल जिंदगी जीने का मौका मिले। इसके लिए antiretroviral therapy (ART) ट्रीटमेंट इस्तेमाल होता है। 

देखकर एड्स के बारे में पता चलता है : ये बिलकुल गलत है और अगर कोई इंसान HIV के संपर्क में आता है तो उसके शरीर में जो लक्षण होते हैं वो लगभग नजरअंदाज़ किए जा सकते हैं। HIV इन्फेक्शन के साथ जो लक्ष्ण होते हैं वो किसी सर्दी-खांसी के लक्ष्णों जैसा ही होता है। साथ ही शुरुआती चीज़ें सिर्फ कुछ हफ्तों तक ही दिखती हैं। आपका स्वास्थ्य बिगड़ेगा और फिर ठीक होने लगेगा।  

HIV पॉजिटिव लोग आसानी से माता-पिता नहीं बन सकते: ऐसा नहीं है अगर किसी महिला को HIV है तो भी वो अपने आने वाले शिशु को इस बीमारी से बचा सकती है। वो ART ट्रीटमेंट ले सकती है। प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए भी ये सुरक्षित है, हालांकि कब और कैसा डोज लेना है वो लोगों को डॉक्टरी सलाह के बाद पता करना चाहिए। अगर ट्रीटमेंट सही लिया तो 1% से भी कम चांस रह जाएगा । अगर किसी पुरुष को HIV है तो उसे डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए और पहले ART ट्रीटमेंट लेना चाहिए उसके बाद ही उसे बच्चों के बारे में सोचना चाहिए। 

गे और लेस्बियन लोगों को एड्स होता है : ये बिलकुल गलत है। स्ट्रेट लोग भी इसके संपर्क में आ सकते हैं। सच तो ये है कि ये किसी भी तरह के असुरक्षित यौन संबंध से फैल सकता है।  

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