कई बार जौइंट रीप्लेसमैंट सर्जरी और गंभीर किस्म के ऐक्सीडैंट के मामलों में की जाने वाली सर्जरी के कारण भी फ्री हुए टिशू फैट में मिल जाते हैं, जो डीवीटी की वजह बनते हैं. वास्तव में डीवीटी का सब से बड़ा जोखिम तब है जब थक्का खून के साथ फेफड़ों तक पहुंच जाता है. यह प्रक्रिया पलमोनरी ऐंबोलिज्म कहलाती है. क्यों होती है डीवीटी की प्रौब्लम ज्यादातर लोग आजकल शारीरिक श्रम नहीं करते. चलनेफिरने से भी उन्हें पहरेज रहता है, जो डीवीटी की वजह बन सकता है. इस के अलावा जंक फूड और तंबाकू आदि का सेवन भी इस प्रौब्लम को बढ़ा रहा है. इसी कारण युवाओं और बच्चों तक सभी इस की चपेट में आने लगे हैं. क्या होता असर डीवीटी के कारण प्रभावित अंग में खून की सप्लाई पर असर पड़ने लगता है. इस के कारण दर्द, सूजन और प्रभावित अंग में भारीपन हो जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक डीवीटी में जो थक्के बनते हैं, उन के लंग्स में पहुचने पर अचानक सांस लेने में दिक्कत हो सकती है. अगर ये दिल या ब्रेन में पहुंच जाएं तो हार्ट अटैक या स्ट्रोक की वजह बन सकते हैं. जानें उपचार आजकल डीवीटी का अल्ट्रासाउंड द्वारा भी पता लगाया जाता है. डाक्टरों का विश्वास है कि इस तरीके का प्रयोग कर वे छोटेछोटे थक्कों का पता लगा सकते हैं. थ्रौंबोसिस का खून की जांच कर के भी पता लगाया जा सकता है. यह बहुत अच्छा तरीका माना जाता है. एक ऐसी जांच जो क्लोटिंग सामग्री के बाय प्रोडक्ट्स के स्तर को मापती है डी डीमर कहलाती है और इस का इस्तेमाल आजकल बहुत चलन में है. जब आप बैठे हों तो पैरों के विभिन्न व्यायाम करें जैसे एडि़यों को घुमाना, पैरों की उंगलियों को हिलातेडुलाते रहना, क्योंकि इस से पैरों में खून एकत्रित नहीं होगा और शरीर में खून का प्रवाह लगातार बना रहेगा. स्लिम बॉडी पाने के चाह में इन पद्धति का सहारा ले रहे लोग, जाने लिपोसक्शन के बारे में रात में अच्छी और गहरी नींद के लिए अपनाये ये उपाय , जाने कैंसर से बचना है तो अपने खाने में जरूर शामिल करे ये आहार