वैसे जिन महिलाओं को बांझपन की प्रौब्लम होती है उन में फाइब्रौयड्स अधिक बनते हैं. जानिए फाइब्रौयड के कारण बांझपन की प्रौब्लम क्यों होती है और उससे कैसे निबटा जाए: क्या होता है फाइब्रौयड: यह एक कैंसर रहित ट्यूमर होता है, जो गर्भाशय की मांसपेशीय परत में विकसित होता है. जब गर्भाशय में केवल एक ही फाइब्रौयड हो तो उसे यूटराइन फाइब्रोमा कहते हैं. फाइब्रौयड का आकार मटर के दाने से ले कर तरबूज बराबर हो सकता है. सरवाइकल फाइब्रौयड्स: ये गर्भाशय की गरदन (सर्विक्स) में स्थित होते हैं. फाइब्रौयड और बांझपन की प्रौब्लम: फाइब्रौयड का आकार और स्थिति निर्धारित करती है कि वह बांझपन का कारण बनेगा या नहीं. इस तरह से फाइब्रौयड्स सफल गर्भधारण और प्रसव में बाधा बनते हैं. कई मामलों में फाइब्रौयड्स निषेचित अंडे को गर्भाशय की भीतरी दीवार से जुड़ने नहीं देता. जब फाइब्रौयड गर्भाशय की बाहरी दीवार पर होता है तो गर्भाशय का आकार बदल जाता है और गर्भधारण करना कठिन हो जाता है. इंट्राम्युरल फाइब्रोयड्स: ये गर्भाशय की दीवार में स्थित होते हैं. यह फाइब्रौयड्स का सब से सामान्य प्रकार है. सबसेरोसल फाइब्रौयड्स: ये गर्भाशय की दीवार के बाहर स्थित होते हैं. इन का आकार बहुत बड़ा हो सकता है. गर्भाशय की एनाटौमी बदल जाना: जब फाइब्रौयड बहुत बड़े-बड़े होते हैं तो वे गर्भाशय की पूरी ऐनाटौमी को विकृत कर देते हैं, जिस से उस का आकार असामान्य रूप से बड़ा हो जाता है, इस से गर्भधारण करने में परेशानी आ सकती है. निषेचन न हो पाना: गर्भाशय में फाइब्रौयड होने के कारण यूटरिन कैनाल काफी लंबी हो जाती है तो शुक्राणु समय से अंडे तक नहीं पहुंच पाते हैं, क्योंकि दूरी बढ़ जाती है और निषेचन नहीं हो पाता है. शारीरिक संबंध बनाने में परेशानी होना: गर्भाशय में फाइब्रौयड होने के कारण शारीरिक संबंध बनाने में बहुत दर्द होता है. दरअसल इस दौरान शरीर में रिदमिक कौन्ट्रैक्शन होता है जो स्पर्म को अंडे के पास पहुंचाता है, लेकिन फाइब्रौयड के कारण यह डिस्टर्ब हो जाता है. क्या है इसकी दवा: फाइब्रौयड के उपचार के लिए सब से पहले दवा दी जाती है. कई महिलाओं में दवा के सेवन से ही यह पूरी तरह ठीक हो जाता है जब दवा काम न करें तब मरीज को सर्जरी कराने की सलाह दी जाती है. क्या है मायोमेक्टोमी: गर्भाशय की दीवार से फाइब्रौयड को सर्जरी के द्वारा निकाल दिया जाता है. एंडोमिट्रिअल ऐब्लेशन: इस में गर्भाशय की सब से अंदरूनी परत को निकाल दिया जाता है. इस प्रक्रिया का उपयोग तब किया जाता है जब फाइब्रौयड गर्भाशय की आंतरिक सतह पर होता है. लैप्रोस्कोपी तकनीक ने इन सर्जरियों को आसान व दर्दरहित बना दिया है. इस में समय भी काफी कम लगता है. स्लिम बॉडी पाने के चाह में इन पद्धति का सहारा ले रहे लोग, जाने लिपोसक्शन के बारे में रात में अच्छी और गहरी नींद के लिए अपनाये ये उपाय , जाने कैंसर से बचना है तो अपने खाने में जरूर शामिल करे ये आहार