भारत में 1.20 करोड़ लोग मिर्गी की बीमारी से ग्रसित हैं। 15 से 50 साल के लोगों में मिर्गी का सबसे आम कारण न्यूरोसाइटिस्टेरोसिस है। यह अक्सर संक्रमित पोर्क या बिना धोई गई भूमिगत सब्जियां खाने के कारण होती है। सबसे आम प्रकार की मिर्गी कम उम्र में होती है और इसके कारण आनुवांशिक हैं। दूसरे प्रकार की मिर्गी अचानक होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि मिर्गी के रोगी को दौरा पड़े तो उसे करवट करके लिटा दें। उसे जूता या चप्पल नहीं सुंघाने चाहिए। मिर्गी के प्रति समाज में जागरुकता फैलाने के लिए ही हर साल 17 नवंबर को राष्ट्रीय मिर्गी दिवस मनाया जाता है। मिर्गी के 90 फीसदी दौरे 2 मिनट के होते हैं। दौरा 5 मिनट से ज्यादा का है तो नाक के जरिये दवा दी जाती है। मुंह के जरिए कुछ भी नहीं देना चाहिए। 5 मिनट से ज्यादा के दौरे की स्थिति में मरीज को अस्पताल ले जाना चाहिए। मिर्गी का रोगी महज आधे घंटे में ठीक हो जाता है। इन रोगियों को नौकरी से निकालना या समाज में भेदभाव करना गलत है। ध्यान देने वाली बात ये है की दुनियाभर में मिर्गी का सामान्य कारण सिर में चोट लगना है, जबकि भारत में इसका प्रमुख कारण न्यूरोसाइस्टिसरोसिस (तंत्रिका तंत्र का परजीवी रोग) है। माइग्रेन, स्ट्रोक और अल्जाइमर के बाद यह सबसे आम न्यूरोलॉजिकल रोगों में से एक है। मिर्गी के रोगियों को चिकित्सक की सलाह के अनुसार दवाई लेनी चाहिए। पर्याप्त व्यायाम, स्वस्थ आहार का ध्यान रख पर्याप्त नींद लेनी चाहिए। परिवार में कोई मिर्गी रोगी है तो उसके दौरे की अवधि देखना जरूरी है। गंभीर स्थिति या ज्यादा अवधि के दौरे पर ही रोगी को अस्पताल में दिखाने की स्थिति बनती है। मिर्गी आने पर मरीज को जमीन पर या समतल स्थान पर करवट से लिटा दें या उसकी गर्दन एक ओर मोड़ दें, ताकि मुंह में जमा लार और झाग बाहर निकल जाएं। मरीज के पास से फर्नीचर, तेज, नुकीली, चुभने वाली या धारदार वस्तुएं हटा दें। भरपूर नींद लेना बेहद जरुरी, वरना जन्म ले सकती है ये बीमारी थायरायड की समस्या से निजात दिलाएंगे, 3 योगासन हेल्थ चेकअप के लिए पैकेज चुनने से पहले पढ़ ले ये जरुरी टिप्स ............